लखनऊ / गुरुग्राम । साइबर सिटी गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने का चल रहा विवाद अब गहराता जा रहा है। हिंदू पक्ष जहां खुले में नमाज पढ़ने का विरोध कर रहा है वहीं मुसलमान पक्ष सरकार से मांग कर रहा है कि उनकी वक्फ़ बोर्ड की जगहों वे पुरानी मस्जिदो ईदगाह और कब्रिस्तान पर हो रहे कब्जों को खाली करवाए जाए ताकि वह अपने स्थानों पर नमाज अदा कर सकें।
आपको बता दें कि शुक्रवार को भी 37 में से 26 स्थानों पर नमाज ए जुमा अदा की गई जबकि आठ स्थानों की इसी सप्ताह गुरुग्राम के प्रशासन ने नमाज पढ़ने की अनुमति रद्द की थी वहीं तीन स्थानों पर नमाज़ अदा नहीं करने दी गई है।
इस संबंध में मुस्लिम पक्ष की ओर से एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब शामिल हुए। बैठक में मोहम्मद अदीब ने कहा कि हमे मौजूदा वक़्त में गांधी जैसे महात्मा की जरूरत और हमे ढूंढना होगा गांधी को जिसने सांझी विरासत की बात की।
पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब ने खुले में नमाज़ मामले को लेकर बैठक में राजीव चौक ईदगाह में पहुंचे थे। पूर्व सांसद ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक बात है कि इबादत भी पुलिस की सुरक्षा में करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी बात न सुनी थी तो वह हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे ।
वही इस मामले में नागरिक एकता मंच के मोहम्मद अल्ताफ़ की का कहना है कि दो दशकों से 108 जगहों पर खुले में नमाज़ अदा की जाती रही थी लेकिन 2018 में खुले में नमाज विवाद के बाद इसे महज 37 चिन्हित स्थानों तक समेट कर रख दिया गया और अब उसमे से भी 8 स्थानों को जिला प्रशासन द्वारा रद्द कर दिया गया जो कि संविधानिक अधिकारों का हनन है।
मोहम्मद अल्ताफ़ ने जिला प्रशासन द्वारा गठित संयुक्त समिति पर भी सवाल खड़े कर आरोप लगाए की जिला प्रशासन ने जानबूझ कर आरएसएस विचारधारा से जुड़े मुस्लिम नुमाइंदों को इस संयुक्त समिति का हिस्सा बनाया गया लेकिन कल हुई बैठक में बोलने तक नही दिया गया।
अल्ताफ अहमद ने कहा कि ऐसी 3 जगहें हैं जहां आज नमाज ए जुमा अदा नहीं हुई सेक्टर 12, सेक्टर 47 और सेक्टर 18 है, बाकी सभी जगहों पर नमाज शांति से हुई। उन्होंने बताया कि उपरोक्त 3 स्थलों पर गोवर्धन पूजा हो रही थी। इसलिए हम स्वेच्छा से पीछे हट गए। इस संबंध में एक संयुक्त कमेटी का भी गठन किया गया और इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की बात कही गई।
जमीयत उलेमा हिन्द के शहर मुफ़्ती सलीम बनारसी मौलाना साबिर कासमी कहना है कि आज हुई बैठक में 21 लोगो के नाम शामिल कर यह तय किया गया कि जिला प्रशासन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कि लड़ाई लड़नी पड़ी तो हम ना केवल अपने हकों की लड़ाई को लड़ेंगे बल्कि सरकार से बातचीत भी करेंगे कि मुसलमानों को बेवजह परेशान करना अब बंद किया जाए।
बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा खुले में नमाज अदा करने की 8 चिन्हित जगहों को रद्द करने के बाद मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है।
Good Afsheen, Prince and Vikas