बच्चे यूं ही नहीं बोलते बिल्ली को मौसी रानी, इसके पीछे है बिल्ली की प्रेम निशानी

अबु क़ासिम अल ज़हरावी को फादर ऑफ़ सर्जरी कहा जाता है  उनकी पैदाइश 936 ईस्वी में स्पेन के कार्डोवा के पास ज़हरा में हुई थी और 1013 ईस्वी में उनका निधन हुआ अल ज़हरावी उमवी खलीफा अल हकम सानी के दरबारी तबीब (चिकित्सक) थे। 

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दुनिया के पहले सर्जन अबुल क़ासिम अल ज़हरावी ने सब से पहले बताया कि अगर इंसान के जिस्म के अंदरूनी हिस्से में टांके लगाने हों तो बिल्ली की आंत को धागे के तौर इस्तेमाल किया जाए क्यूंकि बिल्ली की आंतें इंसानी जिस्म में ही जज़्ब हो जाती हैं और धागा निकालने के लिए दोबारा सर्जरी नहीं करनी पड़ेगी। अबु क़ासिम अल ज़हरावी को फादर ऑफ़ सर्जरी कहा जाता है  उनकी पैदाइश 936 ईस्वी में स्पेन के कार्डोवा के पास ज़हरा में हुई थी और 1013 ईस्वी में उनका निधन हुआ अल ज़हरावी उमवी खलीफा अल हकम सानी के दरबारी तबीब थे। 

फार्मासिस्ट सर्जन क्यों कहते हैं ज़हरावी को 

ज़हरावी की सुप्रसिद्ध किताब अत तसरीफ लिमन अजिज़ अन तालीफ़ है जिसके 30 खंड हैं इसके हर खंड का टॉपिक मेडिकलऔर फार्मास्यूटिकल्स की अलग ब्रांच से ताल्लुक़ रखती है जिसमें मरज़ के लक्षण और दवाई का ज़िक्र है इसमें तक़रीबन 300 से ज़्यादा बीमारीयों का ज़िक्र और उनका इलाज मौजूद है इसलिए ज़हरावी को फार्मासिस्ट सर्जन भी कहा जाता है। अल तसरीफ़ की सब से महत्वपूर्ण वॉल्यूम 30 है जिसमें पहली बार सर्जरी के बारे में बताया गया आंख, कान, नाक, गला समेत 200 से ज़्यादा सर्जरी के बारे बताया गया है साथ ही मिसाल के तौर पर सर्जरी का फोटो भी दिया गया है. इसी लिए ज़हरावी को फादर ऑफ़ सर्जरी कहा जाता है। 

ये जानना बड़ा ही दिलचस्प है कि आज के इस वैज्ञानिक अनुसंधान के युग में ऑपरेशन के दौरान इस्तेमाल होने वाले तक़रीबन सभी औज़ार ज़हरावी के ही ईजाद किए हुए हैं। 

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