कोरोना दहकती हुई आग है और पानी की एक बूंद मेरा प्रयास : संजय कुशवाहा

संजय कुशवाहा ने बताया कि जब पिछले लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को खाने से लेकर रहने तक की व्यवस्था की और अब भी इस संकट की घड़ी में प्रशासन के साथ मिलकर वह मजदूर वर्ग के के राहत के लिए हर संभव  प्रयास कर रहे हैं।

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जैसी कि आशंका थी कि पंचायत चुनावों की गहमागहमी के बीच चुपके चुपके कोरोना शहरों से गॉवों की ओर प्रस्थान कर चुका है अब वो आशंका सही साबित हो रही है गॉव गॉव कोरोना की दूसरी लहर से पीड़ित हो गया है। एक तो गॉवों में वैसे ही मेडिकल सुविधाओं का अभाव था अब कोरोना रुपी आफत ने गॉव की जिंदगी और मुश्किल कर दी है। 

कोरोना महामारी से जहां अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ सी आ गई है तो वहीं कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी परेशान करने वाला है फिर भी गांवों तक कोरोना की बढ़ती संख्या को काबू में करने के लिए गॉव के चिकित्सकों, शिक्षकों के साथ साथ  समाज सेवी संगठन भी सामने आने लगे हैं। 

उत्तर प्रदेश के पूर्व में स्थित गाजीपुर जिले में हमारे संवाददाता राहल वर्मा ने वहां की जमीनी हकीकत को टटोलने का प्रयास किया उन्होंने वहां के समाज सेवी एवं हैंसी पारा के शास्त्री महाविद्यालय के प्रबंधक संजय कुशवाहा से बात की। 

संजय कुशवाहा ने बताया कि उनका प्रयास रहता है कि स्वयं का उदाहरण सामने रख कर लोगों को जागरूक किया जाये इसलिए मैं खुद कोविड प्रोटोकोल का पालन करता हूं तभी अपने गांव में लोगों को मास्क पहनने और को कोविड-19 का पालन करने का साहस कर पाता हूं।

गॉव में कोरोना पर कैसे काबू पाया जाये इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया। 

संजय कुशवाहा ने बताया कि जब पिछले लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को खाने से लेकर रहने तक की व्यवस्था की और अब भी इस संकट की घड़ी में प्रशासन के साथ मिलकर वह मजदूर वर्ग के के राहत के लिए हर संभव  प्रयास कर रहे हैं।

उनका कहना है कि मेरा सिर्फ एक ही मकसद है अपने गांव को कोरोना से बचाना और गरीब एवं वंचित तबकों तक शुद्ध एवं पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कराना, यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस उनकी सहयोग करती है तो उन्होंने, हॉ में सिर हिला कर जवाब दिया। 

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