बिहार में रार… मद्धम होती लालटेन और बुझते हुए चिराग को एक दूसरे का सहारा!

चिराग ने अपनी पार्टी को तोड़ने के लिए नीतीश कुमार को दोषी ठहराया था। उन्होंने भाजपा की चुप्पी पर हैरानी जताई है। तेजस्वी यादव के करीबी नेता ने कहा कि 'तुरंत नहीं' लेकिन दोनों के एक साथ आने का राजनीतिक तर्क तो है

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लखनऊ / पटना। बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। शनिवार को लोजपा नेता चिराग पासवान ने कहा है कि मेरे पिताजी (स्वर्गीय रामविलास पासवान) और लालू यादव काफी घनिष्ठ मित्र रहे हैं। मैं और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बचपन से ही जानते हैं और हम लोग काफी अच्छे दोस्त हैं। तेजस्वी मेरे छोटे भाई के समान हैं। बिहार में जब चुनाव का समय आएगा तब पार्टी RJD के साथ गठबंधन को लेकर अंतिम फैसला लेगी।

ANI के साथ बातचीत में चिराग पासवान ने कहा है कि CAA NRC समेत हर कदम पर मैं भाजपा के साथ खड़ा रहा हूं। वहीं नीतीश कुमार इससे असहमत थे। अब BJP को तय करना है कि आने वाले दिनों में वे मेरा समर्थन करेंगे या नीतीश कुमार का। इसके अलावा चिराग ने कहा है कि,

मैंने हनुमान की तरह प्रधानमंत्री जी का हर मुश्किल दौर में साथ दिया और आज जब हनुमान का राजनीतिक वध करने का प्रयास किया जा रहा है, मैं ये विश्वास करता हूं कि ऐसे में राम खामोशी से नहीं देखेंगे

गौरतलब है कि RJD नेता तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान की तरफ एक बार फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। तेजस्वी ने पहले चिराग को साथ आने का ऑफर दिया और अब उनकी पार्टी 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती मनाएगी। इस मौके पर पार्टी दफ्तर में उनकी फोटो पर पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता माल्यार्पण करेंगे। दिलचस्प बात ये है कि उसी दिन राजद का स्थापना दिवस भी है तो उससे संबंधित कार्यक्रम उसके बाद होंगे। 

 

जाहिर है पीएम मोदी को राम बताकर चिराग अपनी पार्टी में ही राजनीतिक हैसियत बचाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि बीजेपी से वो नाराज भी हैं. शायद यही वजह है कि वह तेजस्वी यादव को अपना छोटा भाई बता रहे हैं और भविष्य के चिराग पासवान की राजनीतिक हैसियत बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है। 

LJP में टूट के बाद से RJD अलग-थलग पड़े चिराग पासवान को अपने साथ लाने की कवायद में जुट गई है. आरजेडी ने तय किया है कि 5 जुलाई को उनकी पार्टी रामविलास पासवान की जयंती मनाएगी. 5 जुलाई की तारीख आरजेडी के लिए भी खास है. वो इसलिए क्योंकि इस दिन आरजेडी का 25वां स्थापना दिवस है. इसी दिन रामविलास पासवान का भी जन्मदिन है, इसलिए आरजेडी ने फैसला किया है कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान की जयंती का कार्यक्रम बनाया जाएगा. सूत्रों की मानें तो आरजेडी रामविलास पासवान की जयंती मनाकर चिराग को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है। 

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में चल रहा सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बुधवार को पटना पहुंचे। राजधानी पहुंचते ही उन्होंने चिराग पासवान को साथ आने का ऑफर देते हुए याद दिलाया कि कैसे लालू प्रसाद ने 2010 में रामविलास पासवान को राज्यसभा के लिए नामांकित होने में मदद की थी, जब लोजपा के पास कोई सांसद या विधायक नहीं था।

तेजस्वी ने चिराग को ऐसे समय पर यह ऑफर दिया है जब चिराग पांच जुलाई से हाजीपुर से अपनी बिहार यात्रा शुरू कर खोई हुई राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं। उनके चाचा पशुपति पारस के गुट का लोजपा पर कब्जा हो गया है। पटना पहुंचते ही तेजस्वी ने कहा, ‘चिराग भाई तय करें कि उन्हें आरएसएस के बंच ऑफ थॉट्स के साथ रहना है या संविधान निर्माता बाबा साहब ने जो लिखा है, उसका साथ देंगे।’

जदयू का नाम लिए बिना तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें लोजपा में मचे घमासान के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो षड्यंत्र रचने में माहिर होते हैं। इसके बाद ये लोग राज्य में राजनीतिक घटनाओं के बारे में अनभिज्ञता भी जताते हैं।’ तेजस्वी नीतीश के उस बयान का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें लोजपा में जारी घमासान की जानकारी नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘इसी अज्ञानता के कारण ही बिहार इस तरह की स्थिति में आ गया है। यहां बेरोजगारी और भुखमरी हो गई है। आरजेडी ने 2010 में पासवान जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने में मदद की थी जब लोजपा के पास कोई सांसद या विधायक नहीं था।’ चिराग ने जहां तेजस्वी की टिप्पणी पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, वहीं लोजपा नेता ने भाजपा से अपने मोहभंग के स्पष्ट संकेत दिए हैं। 

चिराग ने अपनी पार्टी को तोड़ने के लिए नीतीश कुमार को दोषी ठहराया था। उन्होंने भाजपा की चुप्पी पर हैरानी जताई है। तेजस्वी यादव के करीबी नेता ने कहा कि ‘तुरंत नहीं’ लेकिन दोनों के एक साथ आने का राजनीतिक तर्क तो है। पूर्व में भी रामविलास जी ने 2002 के बाद मोदी के साथ मतभेदों के कारण अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट को छोड़ दिया था। 

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