साज़िशों की तिकड़ी रुस चीन और पाकिस्तान! क्या अमेरिका पर भरोसा कर के फंस गया हिन्दोस्तान!

आपको बता दें कि भारत के अफगानिस्तान में 3 अरब डालर दांव पर लगे हैं भारत अफगानिस्तान का पांचवा सबसे बड़ा मददगार देश था पर भारत को इस निवेश से कहीं ज़्यादा चिंता ये थी कि अफ़ग़ानिस्तान के तालिबानी राज में कहीं भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी सामरिक बढ़त न खो दे

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लखनऊ / दिल्ली / काबुल । अमेरिका पर भरोसा करके भारत ने अफगानिस्तान में तीन अरब करोड़ डालर की भारी भरकम धन का निवेश किया इस पैसे से वहां डैम, स्कूल और संसद भवन बनाये जाने थे लेकिन अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामिक एमिरेट्स आफ अफगानिस्तान की सुगबुगाहट के बाद  लगता नहीं कि अब वहाँ संसद भवन का कोई मतलब  रह गया है।

अमेरिका अब तालिबान के आगे खुद हथियार डाल चुका है उधर रूस, चीन और पाकिस्तान मिलकर खेल कर रहे हैं याद कीजिए मार्च के महीने में तालिबान को लेकर एक बैठक रूस ने मास्को में बुलाई थी ये बैठक ‘ट्रोइका प्लस’ के नाम से मशहूर है रूस ने कहा कि इस बैठक में वे देश शामिल हैं जो ‘स्टेकहोल्डर’ हैं इस बैठक में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी के अलावा तालिबान भी शामिल थे। रूस ने अमेरिका को बुलाया चीन और पाकिस्तान को दावत दी लेकिन भारत को न्योता नहीं दिया।

आपको बता दें कि भारत के अफगानिस्तान में 3 अरब डालर दांव पर लगे हैं भारत अफगानिस्तान का पांचवा सबसे बड़ा मददगार देश था पर भारत को इस निवेश से कहीं ज़्यादा चिंता ये थी कि अफ़ग़ानिस्तान के तालिबानी राज में कहीं भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी सामरिक बढ़त न खो दे फिर भी रूस ने भारत को ‘स्टेकहोल्डर’ नहीं माना।

भारत ने इस पर रूस से अपनी नाराजगी भी जताई थी विवाद बढ़ने पर रूसी दूतावास ने सफाई दी कि ऐसा नहीं है अफ़ग़ानिस्तान में भारत अहम भूमिका अदा कर रहा है और भारत इससे जुड़ी वार्ता में अहम भागीदार है।

ये याद किया जाना चाहिए कि 11 अगस्त को कतर की राजधानी दोहा में एक बार फिर ‘विस्तारित ट्रोइका’ बैठक हुई इस बैठक में भी भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था। भारत के लिए ये बेहद अपमानजनक था क्योंकि भारत रुस के ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए रूस से उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

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