तालिबान के तांडव के बीच हिन्दोस्तान! हमारा तो दिल ही कुछ ऐसा है

हमारे देश की संस्कृति ही कुछ ऐसी है, हमारे यहां अतिथी देवो भवो की परंपरा अभी भी है हमारी अनेकता में ही एकता है. यहां हर जाति-धर्म के लोग मिलकर रहते हैं.।हमारे यहां अलग बोली, भाषा, खान-पान होने के बावजूद एकता की एक अलग सी ठंडक है जो मन को सुकून देती है.

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लखनऊ / दिल्ली / काबुल । अफगानिस्तान का हाल तो शायद आप देख ही चुके हैं इस देश पर अब तालिबान का कब्जा हो चुका है. राष्ट्रपति अशरफ गनी पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं, अब मुश्किल यहां के आम लोगों के लिए है जिनका बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

जब काबुल एयरपोर्ट पर भगदड़ जैसे हालात दिखाई दिए तब ऐसा लग रहा था कि लोग किसी प्लेन पर नहीं बल्कि बस पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. पांच लोगों की जान भी चली गई और अब फ्लाइट की उड़ान भी बंद कर दी गई. लोग जैसे-तैसे करके जबरदस्ती फ्लाइट पर चढ़कर किसी तरह वहां से निकलना चाहते थे. इन बच्चों और महिलाओं की मार्मिक तस्वीरों को देखकर दिल दुखता है।

भले ही लोगों को यह पता नहीं है कि अफगानिस्तान कहां है, ना ही कभी किसी ने इतनी दिलचस्पी इस देश के प्रति दिखाई है लेकिन जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे भारत के लोगों को भावुक कर रही हैं। हमारे देश के लोगों का दिल ही कुछ ऐसा है भारत के लोग सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट कर रहे हैं और अफगानिस्तान के लोगों के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैंं।

जिससे साफ समझ में आता है कि हिंदुस्तान के लोग किसी को दुख में अकेले छोड़ नहीं पाते हैं. हम तो दुश्मन की भी मदद के लिए तैयार हो जाते हैं, कुछ तो बात है हमारे देश में जो हस्ती मिटती नहीं हमारी. इन हालातों में भारत के लोगोंं को इस बात की चिंता सता रही है कि अब वहां की महिलाओं और बच्चियों का क्या हाल होगा वहां की लड़कियों की शिक्षा का क्या होगा। 

ऐसे हालात में हमारे देश ने बड़ा दिल दिखाते हुए अफगानिस्तान के आम नागरिकों और वहां के नेताओं को शरण देने का काम किया है। भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंध सदियों से काफी अच्छे रहे हैं. आज जब वहां के लोगों को दुनियां की जरूरत है तो कुछ ही देश मदद के लिए सामने आए हैं. कई रिपोर्ट्स की मानें तो अफगानिस्तान का पड़ोसी पाकिस्तान तालिबान को सैन्य और दूसरी ढांचागत सहायता कर रहा है. अगर यह सच है तो इसके बारे में आप क्या कहेंगे!

वहीं कल से अफगानिस्तान से सैंकड़ों अफगानी भारत आ चुके हैं जिनकी संख्या आने वाले दिनों में बढ़ भी सकती है. सोचने वाली बात है कि इस्लामी देशों में जाने के बजाय उन्होंने भारत आना क्यों चुना? वजह यह हो सकती है कि अफगानिस्तान के लोग इस्लामिक देशों के मुकाबले भारत में खुद को ज्यादा सुरक्षित मानते हैं।

वहीं कुछ भारतीय ऐसे हैं जिन्हें भारत में ही रहने से डर लगता है. वहीं भारत में विशेष समुदाय के कुछ ऐसे लोग ऐसे हैं जो तालिबान के समर्नथ में खड़े हैं. इन्हें शायद पता नहीं है कि किसी किस्म के कट्टरपंथ या तर्क के बिनाह पर यह सही नहीं है।

हम कह सकते हैं कि भारत के वे लोग जो तालीबान का समर्थन कर रहे हैं उनमें और तालिबानियों में कोई अंतर नहीं हैं. ऐसे लोगों को तो सीख लेनी चाहिए कि कैसे कट्टरता किसी देश को दशकों पीछे ले जाती है और यह हम सभी देख रहे हैं. भाग्य मनाइए कि हम भारत में पैदा हुए हैं, कुछ लोगों को यहां रहना सुरक्षित नहीं लगता, उन्हें सबक लेना चाहिए. जो लोग यह बोलते हैं कि भारत में डर लगता हैं आज वे शुक्र मनाएं कि उन्होंने इस देश में जन्म लिया है।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जहां हर किसी को अपनी बात रखने की आजादी है. हम अपनी आवाज उठाने के लिए धरना-प्रदर्शन तो कर सकते हैं. जरा उस देश के बारे में सोचिए जहां किसी और की हुकूमत है। यह अफगानिस्तान के लोगों की आंखों की उदासी और किसी देश का दोजख बन जाना भर है।

हमारे देश की संस्कृति ही कुछ ऐसी है, हमारे यहां अतिथी देवो भवो की परंपरा अभी भी है हमारी अनेकता में ही एकता है. यहां हर जाति-धर्म के लोग मिलकर रहते हैं.।हमारे यहां अलग बोली, भाषा, खान-पान होने के बावजूद एकता की एक अलग सी ठंडक है जो मन को सुकून देती है. हमारा देश कम से कम उस कट्टर समाज से तो अच्छा है जो धर्म के नाम अपने ही देश का नाश देते हैं, इसलिए तो सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।

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