विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस से दुनिया के अधिकतर देश चपेट में आ गए हैं। भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कहर थमता नजर आ रहा है, लेकिन उसके असर से जिस तरह की तस्वीरें दिखाई देती है वह दिल को झकझोर देती हैं।वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस तेजी से अपना रूप बदलता है इस रूप बदलने के कारण यह कई नामों से जाना जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में सबसे पहले मिले B.1.617.2 G/452.RV3 मिले वैरिएंट का नाम सोमवार को डेल्टा वैरीअंट रखा है। भारत में 12 मई को इस वेरिएंट की पहचान B.1.617.2 से की गई थी जिसे भारत का वैरीअंट कहां जा रहा था और डबल म्युटेंट भी कहा गया। meine firma
वहीं भारत में दूसरे वेरिएंट B.1.617.1का नाम कप्पा रखा गया।कोरोना का यह वैरीएंट B.1.617 अब तक 53 देशों में पाया जा चुका है और 7 अन्य देशों में इसकी अनआधिकारिक तौर पर पहचान हुई है। हालांकि, इसकी संक्रामक क्षमता को लेकर दुनिया भर में रिसर्च चल रही है।
ब्रिटेन के साल 2020 के सितंबर महीने में मिले वैरीएंट का नाम अल्फा रखा गया है। साउथ अफ्रीका में मिले वैरीअंट का नाम बीटा रखा गया।
डब्ल्यूएचओ ने ब्राजील में बीते साल नवंबर के महीने में मिले strain का नाम गामा रखा, यूएस में मिले स्ट्रेन का नाम एप्सिलॉन रखा गया है। डब्ल्यूएचयू में कोविड-19 के टेक्निकल लीड में लीड डॉक्टर मारिया वांकेखोवे ने कहा है कि इस नए नामकरण से कोरोना वायरस की मौजूदा स्ट्रेन का वैज्ञानिक नाम नहीं बदलेगा।
उन्होंने कहा यह वैज्ञानिक तथ्यों और रिसर्च पर आधारित नाम होते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी स्ट्रेन या वैरीएंट को लेकर किसी भी देश को दागदार बनाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।
भारत सरकार ने 12 मई को B.1.617 वैरिएंट को मीडिया वर्गों द्वारा इंडियन वेरियंट नाम दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। भारत सरकार ने अपने एक बयान में कहा है कि कई मीडिया रिपोर्ट में कोरोना वायरस को इंडियन वैरीएंट कहां है यह बिना किसी आधार के कहां गया है।
सरकार ने सोशल मीडिया कंपनीज से कहा था कि वे अपने प्लेटफार्म से किसी भी ऐसे कंटेंट को तुरंत हटा दें जिसमें कोरोना वायरस वैरीएंट को इंडियन वैरीअंट बताया गया है।