कहीं 5G से तो नहीं जुड़े हैं Corona के तार!

कोरोना महामारी को लेकर जितनी भी भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं उन सभी को विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के द्वारा एक रिपोर्ट में जवाब दिया गया है। डब्ल्यूएचओ(WHO) की रिपोर्ट में इन सभी दावों को फर्जी घोषित किया गया है।

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लखनऊ /दिल्ली। पूरे विश्व में कोरोना का अपडेटेड वर्जन रस बहुत तेजी से फैल रहा है लेकिन भारत एक ऐसा देश बन चुका है जहां हर रोज तकरीबन 4 लाख से अधिक मरीज पाए जा रहे हैं। मीडिया खबरें दिखाा रहा है और सोशल मीडिया पर नई-नई धारणाएं सामने आ रही है कि आखिर इस बढ़ते कोरोना वायरस का कारण क्या है? उनमें से एक धारणा 5G रेडिएशन को भी बताया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर एक संदेश बहुत तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि कोरोना की जो दूसरी लहर आई है उसका कारण 5G रेडिएशन है। साथ ही एक न्यूज़ पेपर की कटिंग भी वायरल हो रही है जिसमें पानीपत की समाज सेविका शशि लूथरा ने 5G नेटवर्क टावर बंद करवाने की मांग की है।

वैज्ञानिकों के समूह ने ऐसे दावों को महज कोरी कल्पना बताया  है जो 5G तकनीक को कोविड-19 का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बल्कि यह दावा पूरी तौर से गलत है। वहीं दूसरी लोगों का कहना है कि घर में हल्के करंट के झटके भी महसूस हो रहे हैं। लोग पूरी तरह से 5G रेडिएशन को ही कोरोना वायरस की दूसरी लहर का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ ही वायरल पोस्ट में 5G रेडिएशन की टेस्टिंग को बंद करवाने के लिए मांग की जा रही है। वायरल फोटो में लोगों का कहना है की पाइप की रेडिएशन की बजाज से घर में करंट का लगता है। गला सामान्य से ज्यादा सूखता है।

कोरोना महामारी को लेकर जितनी भी भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं उन सभी को विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के द्वारा एक रिपोर्ट में जवाब दिया गया है। डब्ल्यूएचओ(WHO) की रिपोर्ट में इन सभी दावों को फर्जी घोषित किया गया है।

डब्ल्यूएचओ(WHO) का कहना है कि 5-G टेस्टिंग का कोरोना वायरस फैलाने में कोई भी हाथ नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कोरोना मोबाइल नेटवर्क और रेडियो तरंगों के साथ एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं फैलता है। डब्ल्यूएचओ(WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस उन देशों में भी फैल रहा है जहां 5-G मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

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