भक्त हों या कम्बख्त, इन सारे बदबख्तों ने मिलकर देश को बदहवास व लस्त पस्त कर रखा है आज रात नींद नहीं आ रही थी बेचैनी सी लग रही थी वो बेचैनी अभी तक जारी है खबरों की आपाधापी में, उसको अपनी विचारधारा व संपादकीय पॉलिसी के अनुसार ऐंगल देने की जद्दोजहद में हम इतने अविवेकी अतार्किक होते जा रहे हैं कि शायद हम एक इंसान होने के बुनियादी पैमाने से विमुख हो गये है।
पिछले साल भारत की संसद ने नागरिकता संशोधन कानून 2019 पारित किया और भारत सरकार ने उसे पूरे देश में लागू भी कर दिया है इस कानून के विरोध में दो महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रही है उसी शाहीन बाग की तर्ज पर पूरे देश में कमोबेश 100 के आसपास छोटे बड़े धरने प्रदर्शन हो रहे हैं जिसका नेतृत्व प्रत्यक्ष रुप से मुस्लिम महिलाएं करती नजर आ रही हैं लेकिन प्रधानमंत्री की इस बात को भी फरामोश नहीं किया जा सकता कि ये आंदोलन अगर CAA के विरोध में होता तो सरकार के तमाम विश्वास और यकीन दहानी के बावजूद अब तक समाप्त हो गया होता, उन्होंने ये आशंका भी जताई कि इसके पीछे कोई साजिश है। इधर इस अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन के चलते नागरिक अधिकारों के हनन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक पंच की भूमिका निभाते हुए अपने दो प्रतिनिधियों को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए अधिकृत किया है।
यूं तो मैंने CAA के संबंध में कई रिपोर्ट लिखी हैं लेकिन कल रात से बेचैनी कुछ अलग तरह की है सुप्रीम कोर्ट के वार्ता कारों से शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की शुरुआती बातचीत देख कर मुझे तो कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही, अल्लाह करे मेरी बात गलत साबित हो और समस्या का समाधान निकल आये।
जब हम मीडिया की पढ़ाई कर रहे थे तब हमें बताया गया था कि, मीडिया समाज और सरकार के बीच सेतु का काम करता है लेकिन आज की #भक्त मीडिया सेतु के अपने खंभे को उखाड़ कर दरिया के एक किनारे पर खड़ा है और #कम्बख्त मीडिया, सेतु के अपने खंभे को उखाड़ कर दरिया के दूसरे किनारे पर खड़ी है। ऐसे हालात में भारत की भोली भाली आवाम दरिया के इस पार बैठी अपने देशवासी भाईयों बहनों से मिलने के लिए उसी तरह से तड़प रही है जैसे दो पपीहे दरिया के दोनों किनारों पर बैठकर अपने प्रेमी प्रेमिका से मिलने के लिए तड़पते हैं।
देश के प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र में एक बार फिर कहा है कि CAA देशहित में है लिहाजा इसे वापस लेने का कोई मतलब नहीं है इसलिए हम अपने फैसले के साथ हैं वहीं दूसरी तरफ शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि CAA वापस लेने तक हम यहाँ से नहीं जायेंगे भले ही हमें अपनी जान देनी पड़े। ऐसी ज़िद ज़िद्दत के हालात में भक्तों और कम्बख्तों से परे देश भक्तों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि सिर्फ समस्या पर ही बात न हो बल्कि उसके समाधान पर भी बात हो।
ये सच है कि बेचैनी एक इंसान को बेबस, बेसुध, बेसब्र और साधारण बना देती है जबकि वही बेचैनी एक दयावान, दरियादिल, दर्द मंद, देश भक्त इंसान को असाधारण बना देती है। आप अच्छी तरह से जानते हैं कि देश के विकास और लोगों की भलाई की योजनाएं बनाने के लिए तमाम तरह के डाटा/आंकड़ों की जरूरत पड़ती है भारत में आंकड़े इकट्ठा करने वाली एजेंसी IGIP के प्रमुख ने अभी हाल ही में कहा है कि देश में जिस तरह का अविश्वास का माहौल है वैसे में आंकड़े इकट्ठा करना जोखिम भरा है ये काम नामुमकिन की हद तक मुश्किल है। अब आप सोचिए कि देश से, उसके नागरिकों से, उसके जंगल हवाओं से, उसके परिंदों पहाड़ों से मुहब्बत करने वाले देश भक्त कैसे ना बेचैन हों!
लेकिन महज़ बेचैनी से तो समस्या का समाधान नहीं मिल सकता इसलिए हमने इस पर मंथन किया और एक समाधान ढूंढने की कोशिश है वो समाधान हम आप के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें पता है कि दोनों तरफ के मूर्खों और धूर्तों को ये पढ कर मिर्ची लगना लाजिम है फिर भी, एक इंसान और देश प्रेमी का फर्ज तो निभाना है। CAA 2019 के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक देश में शरण ले चुके पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक रुप से प्रताड़ित हिंदू जैन बौद्ध इसाई सिख शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए कुछ रियायते दी गई हैं ताकि वो अपना जीवन, मानवीय मूल्यों और मर्यादा के साथ गुजार सकें। शांति सद्भाव को ध्यान में रखते हुए और प्रधानमंत्री के थ्येय वाक्य #सबका_साथ_सबका_विकास_सबका_विश्वास को मद्देनजर रखते हुए क्या ऐसा किया जा सकता है कि ऐसे शरणार्थियों को युद्ध स्तर पर चिन्हित करने का अभियान चलाया जाये फिर उन्हें CAA के प्रावधानों के अंतर्गत अगले #छः महीनें में नागरिकता प्रदान कर दिया जाये और इन लोगों को नागरिकता देने के बाद #CAA 2019 को वापस ले लिया जाये और भविष्य में नागरिकता के लिए नागरिकता कानून 1955 को फिर से प्रभावी बना दिया जाये।
प्रधानमंत्री जी, आप #मन_की_बात में हमेशा एक बात कहते हैं कि मेरे मन की बात के साथ आपके मन की बात भी जुड़नी चाहिए, हो सकता है आपकी कही गई कोई बात देश के काम आ जाये। आपकी इन्हीं भावनाओं को आवाज़ देते हुए इस उम्मीद के साथ देश का एक नागरिक अपनी बात कह रहा है कि शायद ये बात देश के काम आ जाये और 7 लोक कल्याण मार्ग (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) और शाहीन बाग का आपस में जुड़ाव हो जाये ।