निर्मल यादें : KGMU की चिट्ठी

पार्थिव देह के कारण महज़ 17-18 वर्ष की उम्र में एक मेडिकल छात्र बुद्ध प्रश्न से साक्षात्कार करता है। ये सत्य बोध बना रहा तो एक उसमें अच्छा चिकिसक बनने के आसार बने रहते है वरना एटीएम बन जाने का डर रहता है।

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इस चिट्ठी को देखिए। ये चिट्ठी निर्मल दद्दा के बड़े भाई  चरन आधार वर्मा को संबोधित करते हुए उन्हें और उनके साथ  परिवार को एनाटॉमी डिपार्टमेंट, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने आभार स्वरूप भेजी है आपको बताता चलेंगी कि निर्मल दद्दा ने अपना शरीर मेडिकल स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए स्वेच्छा से दान कर दिया था।

KGMU से पास आउट डॉ अमित शुक्ला कहते हैं इस विद्यालय का एक पुराना (’94 बैच) विद्यार्थी होने के हवाले से मैं कहना चाहूंगा कि अकादमिक सफर के पहले पड़ाव पर ही किसी भी मेडिकल छात्र का जो सबसे बड़ा गुरु होता है वो विच्छेदन कक्ष (dissection hall) में रखी पार्थिव मानव देह ही होती है। रोज़ उस देह के साथ कई घण्टे बिताना, जो किताबों में केवल लाल पीली रेखाएं होती हैं उन्हें वास्तिविक रूप में खोजना,पाना,मन में बिठाना एक अलग सफर पे ले जाता है। किताबें छूट जाती हैं मगर मानव देह के वो पन्ने हमेशा साथ रहते हैं जो एक मेडिकल छात्र खुद लिखता/लिखती सा रहती है।

कई बार उन छणों में और कभी रात को सोते समय भी ये ख़याल आते थे कि ये शख्श जीवन में कैसा रहा होगा, इसके काम,इसके सपने कैसे रहे होंगे। और फिर दबे पांव आता है ये ख़याल की एक दिन वो शरीर जो हमने धारण कर रखा है उसकी भी यही नियति होगी। इस पार्थिव देह के कारण महज़ 17-18 वर्ष की उम्र में एक मेडिकल छात्र बुद्ध प्रश्न से साक्षात्कार करता है। ये सत्य बोध बना रहा तो एक उसमें अच्छा चिकिसक बनने के आसार बने रहते है वरना एटीएम बन जाने का डर रहता है। ‘जिसको टेबल (डिसेक्शन टेबल) याद है, चिकित्सक वही आबाद है’

मुझे कभी दर्शन जी से मिलने का अवसर नहीं मिला पर आप लोगों से जानकर उन के उनके कद का अंदाज़ा लग गया था, लेकिन देह दान के इस काज से पता चलता है कि वो व्यक्ति बहुत बड़े दिल का रहा होगा जिसने उसी विधा को अपनी देह समर्पित कर दी जिसने उनकी कैंसर के खिलाफ लड़ाई में कुछ दूर तक तो साथ दिया मगर हांफ गया। वो देह पीछे छोड़ कर तेज़ी से आगे निकल गए क्योंकि मूल तो मिटता नहीं है। एक पूर्ण कवि ,सम्पूर्ण व्यक्ति की पार्थिव देह भी जाने कितने होनेवाले चिकित्सकों का साथ देगी , उन्हें ATM बनने से बचाएगी। 

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