…माँ जो कहती है सही कहती है

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शिव कृपाल मिश्र

बचपन से लेकर आज तक जब भी मै अपनी माँ के पास बैठता था मेरी माँ मुझे हमेशा समझाते हुए कहती कि बेटा कभी किसी पर आँख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए | यदि तुम्हारे पास कोई कुछ भी लेकर आता है तो सबसे पहले यह परखने कि कोशिश करो कि वह क्यूँ तुम्हारे पास ही लेकर आया है | निश्चित रूप से कोई ऐसी चीज तुम्हारे पास है जिसे वह चाहता है | यह जरूरी नहीं कि वह धन हो वह रूप हो सकता है ,ज्ञान हो सकता है , सम्मान हो सकता है , ज़मीन – जायदाद हो सकती है या फिर तुम्हारी मुर्खता भी हो सकती है जिसका वह अपने तरीके से उपयोग कर लेना चाहता हो | माँ की इन बातों से मै बहुत खिन्न हो जाता था , कमोबेश आज भी ऐसी बातों से बहुत खीज होती है | मैंने हाल ही में माँ से पूछा कि ऐसे तो मै किसी पर विश्वास ही नहीं कर पाऊंगा और सबसे अलग हो जाऊँगा | माँ ने उत्तर दिया कि बेटा तुम अपने तरीके से तो और बुरी तरह अलग हो जाओगे , क्योंकि जब विश्वास टूटता है तो आदमी स्वयं सबसे अलग कर लेता है और उसकी दिनचर्या से लेकर व्यवसाय तक प्रभावित होता है | और जब धनार्जन का स्रोत प्रभावित होता है ,तब लोग आपकी तरफ से नज़रें मोड़ने लगते हैं | इससे तो अच्छा है कि न तुम किसी पर पूर्ण विश्वास करो न अगले से अपेक्षा करो | दुनिया में मस्ती से बने रहोगे लोग तुम्हें पूछते रहेंगे | माँ कि इन बातों से मै इस बार खिन्न नहीं हुआ बल्कि शांत मन से इस पर चिंतन करने लगा तब मेरे भूत और वर्तमान की सभी घटनाएं याद आने लगी | उन सब को माँ की कसौटी पर रखा तो मुझे भान हुआ कि पिछले 35 वर्षों से मै अपनी माँ की ऐसी बातों को वजन नहीं देता था यह बहुत गलत करता था | मुझे शायद अपनी पढ़ाई – लिखाई वाली तथाकथित डिग्रियों पर माँ से ज्यादा भरोसा हो गया था | लेकिन मै कितना मूर्ख था यह मुझे आज पता चला | और कुल मिलाकर इतनी छोटी सी बात मुझे अब समझ में आयी कि यदि आप अपने आप पर केवल विश्वास करेंगे तब सफलता आपके कदम चूमेंगी और गलती से भी अपने से ज्यादा किसी पर विश्वास किया तो आप अपनी असफलता , निराशा से आजीवन पीछा नहीं छुड़ा पायेंगे | बहरहाल यह मेरी समझ है इससे इत्तेफाक रखना न रखना ये आपकी समझ है | बस इतना जरूर कहूंगा कि माँ जो कहती है सही कहती है |

1 COMMENT

  1. मॉ तो ये भी कहती हैं, ऐ पुलिस खबरदार… मैं पत्रकार की मॉ हूँ। ☺

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