पत्रकारों के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य हो | पत्रकारों के ड्रेस कोड पर बाम्बे हाईकोर्ट द्वारा सवाल उठाये जाने पर नव भारत पत्रकार एसोसिएशन ने की सराहना कहा अब कोर्ट से ही उम्मीद |

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     विवेक राय 

लखनऊ – पत्रकारिता को देश में तथाकथित चौथे स्तम्भ के रूप में माना  जाता है | लेकिन पत्राकारित को न तो वह स्थान मिला और न ही वह स्वरुप मिला जो देश के अन्य तीनो स्तम्भ कार्यपालिका,विधायिका और न्यायपालिका को मिला है|जबकि देश की आज़ादी में इसका एक बहुत ही विशेष योगदान था |नव भारत पत्रकार एसोसिएशन (एन.पी.ए.)के प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष शिव कृपाल मिश्र ने उपरोक्त पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आज़ादी से लेकर आजतक पत्रकारिता अपनी आज़ादी के लिए जूझ रही है |Image may contain: 6 people, people standingपत्राकारिता का एक बहुत बड़ा हिस्सा पूंजीपतियों के कंपनियों में गिरवी है |उन्होंने कहा कि बड़े दुःख की बात है कि अभी तक न ही इसके लिए कोई ड्रेस कोड बना और न ही कोई योग्यता | जबकि समाज इस वर्ग को बुद्धिजीवी मानता है | यदि शीघ्र ही इसके लिए कोई ड्रेस कोड , कुछ नियम क़ानून व योग्यता निर्धारित नहीं हुयी तो जनता का विश्वास घट जाएगा और यह तथाकथित चौथा स्तम्भ अपनी पहचान समाप्त कर देगा |सरकारें केवल अखबारों के सर्कुलेशन को लेकर पत्रकारिता पर नियम क़ानून बनाती है| क्योंकि बड़े – बड़े पूंजीवादी धन्नासेठ जो अपने अखबारों को कम्पनियों द्वारा चलाते हैं ,वह ऐसा ही चाहते हैं| श्री मिश्र ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पत्रकारों के ड्रेस कोड पर सवाल उठाने को लेकर कोर्ट की तहे दिल से सराहना |उन्होंने कहा हम और हमारा एसोसिएशन कोर्ट के इस सवाल का सम्मान करते हुए उसकी भूरी – भूरी प्रशंसा करते हैं |बैठक में मुख्य अतिथि डा. एन.के. सिंह ने अपने समापन भाषण में कहा कि हम अपने तथाकथित चौथे स्तम्भ का वह मूर्तरूप खोजने के लिए संघर्षरत हैं |इस संघर्ष में बॉम्बे हाई कोर्ट का यह सवाल हमारे लिए संजीवनी है | कोर्ट को इस सवाल के लिए कोटि -कोटि धन्यवाद अर्पित करते हुए कहा कि वह दिन जरूर आएगा जब हमारा अदृश्य चौथा स्तम्भ दिखने लगेगा |गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस ने बीते बुधवार (29 मार्च) को मंजुला चेल्लूर ने कोर्ट में पत्रकारों की एंट्री को लेकर एक बड़ा सवाल  खड़ा कर दिया।बैठक में राष्ट्रीय प्रवक्ता अजीत सिंह श्रीकांत यादव ,राजेश यादव , जे पी सिंह गहलोत ,अब्राहम मिएराज ,संदीप शुक्ल , आर .के . मिश्र ,सुरेन्द्र सिंह चौहान विकास पाल , श्याम राज  सहित अन्य गणमान्य पदाधिकारी एवं सदस्य गन उपस्थित रहे |

कोर्ट ने क्या सवाल किया –  

चीफ जस्टिस ने पत्रकारों के ड्रेस कोड को लेकर नाखुशी जाहिर की और ऐतराज जताया | चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या कोर्ट में पत्रकारों को जीन्स-टी शर्ट में पहन कर आना चाहिए? चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या पत्रकारों का कोर्ट रूम में जीन्स-टी शर्ट जैसे परिधान कोर्ट के डेकोरम के लिए सही है? बताते चलें कि कोर्ट में महाराष्ट्र में हुई डॉक्टरों की हड़ताल मामले को लेकर सुनवाई चल रही थी। इसी बीच कोर्ट रूम में पत्रकारों के ड्रेस कोड को लेकर पूछताछ हुई जिसमें कोर्ट यह जानना चाहता था कि क्या जीन्स-टी शर्ट कोर्ट रूम के लिए सही पहनावा है ?

कोर्ट ने पूछा जीन्स-टी शर्ट पहनने की सराहना होनी चाहिए ?

चीफ जस्टिस ने सवाल करते हुए कहा- “क्या यही मुंबई का कल्चर है ?” वहीं सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने हड़ताल मामले में कोर्ट रूम में सिओन अस्पताल के वकील सुरेश पाकले से पूछा कि क्या इस ड्रेस कोड(जीन्स-टी शर्ट) पहनने की सराहना होनी चाहिए ? जिसके बाद पाकले ने “नहीं” का जवाब दिया। हालांकि कोर्ट ने पत्रकारों को कोर्ट रूम में रिपोर्टिंग के दौरान किसी तरह के ड्रेस कोड को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं दिए। बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है जब कोर्ट रूम में पत्रकारों के ड्रेस कोड को लेकर जज ने सवाल उठाए हों।

कौन हैं चीफ जस्टिस ?

चीफ जस्टिस चेल्लूर दूसरी महिलाजज हैं जिन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। इससे पहले चीफ जस्टिस चेल्लूर ने केरल हाई कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट में भी चीफ जस्टिस का पदभार संभाला है।Image result for chief justice of bombay high court चीफ जस्टिस चेल्लूर का जन्म 1955 में बरेली में हुआ था |उन्होंने अपनी बीए की पढ़ाई बरेली से ही की थी। वहीं उन्होंने अपनी LLB की डिग्री रेनुकाचार्य लॉ कॉलेज से हासिल की थी।इससे पहले सुजाता मनोहर 1994 में बॉम्बे हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनी थीं।

 

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