जोश जज्बे और जिजीविषा की ताक़त, राज मिस्त्री से राज नौकरी तक

कहिये तो आसमां को जमीं पर उतार लायें, कुछ भी नहीं है मुश्किल अगर ठान लीजिए

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आईएएस सुमित विश्वकर्मा

लखनऊ । किसी भी सफलता के लिए संघर्ष तो आपने बहुत देखा होगा। लेकिन एक युवा का संघर्ष काफी लोगो के लिए प्रेरणादायक है । बता दें कि इस युवा के संघर्ष से  लोगों को सीख लेनी चाहिए  क्योंकि  इस युवा ने  संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में कड़े संघर्ष के बाद  सफलता प्राप्त की है ।  बता दें कि शुक्रवार को UPSC के रिजल्ट आ गए।  बहुत सारे लोगों की सक्सेस स्टोरी शेयर की गई और आप सभी ने देखी भी।  बतादे कि IAS, IPS और IFS जैसे पदों के लिए कुल 759 कैंडीडेट्स के नामों का ऐलान हुआ है। इन्हीं नामों में से एक नाम सुमित विश्वकर्मा का भी है।  उनकी 53 वीं रैंक आई है।

कहने को सिर्फ ये एक कैंडीडेट की सफलता है लेकिन सुमित की कहानी जानेंगे तो मिसालें देंगे।  बतादे सुमित ने 9 साल राज मिस्त्री का काम किया है। राजमिस्त्री का काम 9 वर्षों तक लगातार अपने पिता के साथ किए हैं । इन्होंने  अपने पिता के साथ पिछले 9 वर्षों से लगातार  ईट की जुड़ाई का कार्य कर रहे हैं और  इस कार्य से इतर समय निकालकर उन्हेंने पढ़ाई की और संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 53 वा स्थान हासिल किया । आज भी वही है कार्य करते हैं और लोगों का घर बनाते है। लेकिन अब के बाद कार्य नहीं करना पड़ेगा क्योंकि इन्होंने एक बड़ी सफलता हासिल की है।  जिसके लिए अच्छे-अच्छे लोग संघर्ष करते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती। लेकिन इनके संघर्ष ने आखिरी में उस मुकाम पर पहुंचा ही दिया।

  • राष्ट्र को सलाम

बतादे कि सुमित विश्वकर्मा मध्य प्रदेश से आते हैं। वहां सिवनी जिले की घंसौर तहसील में उनका छोटा सा गांव है। गांव इतना छोटा है कि वहां रोजगार का कोई साधन नहीं, तो उनकी मम्मी शशि विश्वकर्मा और पापा कृष्ण कुमार विश्वकर्मा जबलपुर आ गए। वहां राजमिस्त्री का काम करने लगे।  10 साल पहले सुमित भी अपने पिता के साथ मिस्त्री का काम करने लगे। 9 साल से वो UPSC की तैयारी कर रहे हैं। अब जाकर कामयाबी मिली है। 29 साल के सुमित की पत्नी रश्मि अब भी इस पर यकीन नहीं कर पा रहीं।  मध्य प्रदेश के स्थानीय अखबार  में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सुमित रात 2 बजे तक पढ़ाई करते थे।  दिन में मिस्त्री का काम करते थे,   कठिन जिंदगी थी। सुमित ने बताया कि उनसे फाइनल इंटरव्यू में क्रिमिनल रिकॉर्ड्स और पर्सनल एजूकेशन के बारे में पूछा गया था।  नौकरी न करने के सवाल पर बताया कि कुछ दिन एक प्राइवेट कॉलेज में जॉब किया पर पर्सनल वजहों से लगातार काम पर नहीं जा सका।  फिर नौकरी से निकाल दिया गया।  जब निकाल दिया गया तो ठान लिया कि अब सरकारी नौकरी ही करनी है। बड़े भाई मनीष विश्वकर्मा ने पढ़ाई के लिए मोटिवेट किया। अब जाकर सुमित को सफलता मिली है।  सुमित में संघर्षों के बल पर इतनी बड़ी परीक्षा में सफलता हासिल की है ।

– अब्राहम मिएराज

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