शिव कृपाल मिश्र
LUCKNOW – सब्जियों, खासतौर से प्याज के दाम आने वाले महीनों में बढ़ सकते हैं, क्योंकि सरकार ने पिछले साल की तुलना में फसल थोड़ा कम रहने का अनुमान लगाया है। कृषि मंत्रालय द्वारा पछले माह जारी पूर्वानामों में कहा गया है कि बागबानी, खाद्यान्न और तिलहन के अनुमानित पैदावार में मजबूत ग्रोथ की बराबरी नहीं कर पाया है।
क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश सब्जी उत्पादन के क्षेत्र देश में दूसरे पायदान पर है | इसके बावजूद यहाँ पर सब्जियों के दाम आसमान छूते है |उत्तर प्रदेश का सब्जियों के उत्पादन तथा क्षेत्रफल में पश्चिम बंगाल के बाद दूसरा स्थान है। देश के कुल सब्जी उत्पादन में 12 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। प्रदेश की खाद्यान्न उत्पादकता का लगभग 4 से 5 गुना सब्जी का उत्पादन होता है परंतु सुदृढ़ विपणन, भंडारण, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की उचित व्यवस्था न होने के कारण सब्जी उत्पादकों को लाभ नहीं मिल पाता। सब्जियाॅं अतिशीघ्र खराब हो जाती हैं जिस कारण किसानों को अपनी फसल तुरंत बेचनी पड़ती हैं तथा लाभ के स्थान पर हानि उठानी पड़ती है। योगी सरकार इस पर विचार करे कि आम जनता और किसान को ज्यादा से ज्यादा फायदा कैसे पहुँच सकता है |आम जनता और किसानो का फ़ायदा राज्य की तरक्की में अपना भरपूर योगदान दे सकता है |यही आपका संकल्प पत्र भी कहता है |
बागबानी फसलों पर कृषि मंत्रालय के पुराने पूर्वानुमानों के मुताबिक, सब्जियों की पैदावार करीब 16.86 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो कि पिछले साल की तुलना में 0.3 फीसदी कम रहेगा। इसमें से प्याज का उत्पादन करीब 1.97 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो कि पिछले साल की तुलना में 6 फीसदी कम है। इसके अलावा, पिछले साल के मुकाबले इस साल प्याज का पैदावार क्षेत्र भी 10 फीसदी घटकर 11.9 लाख हेक्टेयर रहा है। दरअसल ‘प्लांटिंग या प्रॉडक्शन में गिरावट सिस्टम की नाकामी है। इससे आने वाले महीनों में सब्जियों की कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी।’
कृषि वैज्ञानिक डा. यादवेन्द्र शुक्ला ने बताया कि पिछले सालों में एक जैसा सब्जी उत्पादन स्तर दिखाता है कि सब्जियों की कम कीमत ने किसानों को ज्यादा उत्पादन करने से रोका और उन्होंने दलहन फसलों की ओर रुख किया, जहां रिटर्न कहीं ज्यादा थे।