आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ब्रिक्स में दिखी प्रतिबद्धता

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गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने आए देशों से आह्वान किया गया कि वह सुनिश्चित करें की उनके क्षेत्र का आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है| ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सचिव अमर सिन्हा ने समाधान’ तलाशे जाने का आह्वान किया था, जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता की ज़रूरत से जोड़कर देखा कहा कि घोषणापत्र में ‘विचारों पर फोकस’ किया गया है| उन्होंने कहा कि वे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे ‘पाकिस्तान-स्थित गुटों को आतंकवादी घोषित करने को लेकर सर्वसम्मति हासिल नहीं कर सके,’ क्योंकि वह सिर्फ भारत और पाकिस्तान से जुड़ा मामला हो जाता (हालांकि चीन भी पूर्व में लश्कर को खतरा मानता रहा है)| पर एक सफलता या मिली है कि घोषणापत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित किए जा चुके संगठनों से निपटने की ज़रूरत पर बल दिया गया है| अमर सिन्हा ने बताया कि अधिकारी इससे भी ‘काफी संतुष्ट’ हैं| वैसे, घोषणापत्र में आईएसआईएस, अलकायदा और जुबहात-उल-नुसरा का ज़िक्र किया गया है| प्राथमिक सत्र के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ‘क्षेत्रीय समस्याओं के राजनैतिक जा रहा है| सितंबर में हुए उरी हमले के बाद से भारत ने राजनयिक स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में पेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर देने की कोशिशें काफी तेज़ कर दी थीं| अब ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर भी प्रधानमंत्री ने इसी रुख के साथ पहुंच बनाई है| गोवा घोषणापत्र में सीमापार से आतंकवाद के मुद्दे को जगह नहीं दी गई लेकिन ब्रिक्स के चार अन्य सदस्य देशों रूस, दक्षिण अफ्रीका, चीन और ब्राजील ने उरी हमले की निंदा  की|  इन देशों  ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने पर सहमति जताई|

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