अटक गई कांग्रेस और सपा के गठबंधन की बात ?

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लखनऊ: सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बीच कुछ गड़बड़ी देखने को मिल रही है, या फिर यूं कहे कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा अपनी संभावित सहयोगी पार्टी के खिलाफ दबाव की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है?  ये सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है, क्योंकि अखिलेश यादव ने आज जिन 191 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है उनमें उन सीटों पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं जिन पर पिछली बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और वो कांग्रेस की डिमांड लिस्ट में शामिल थीं| वहीं सपा के उपाध्यक्ष किरण मॉय नंदा का कहना है कि हम कांग्रेस को 84-89 सीटें दे सकते हैं| हालाकिं अखिलेश ने जो लिस्ट जारी किया है उसमें मथुरा, खुर्जा, हापुड़, शामली, स्याना, स्वार-टांडा पर सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, मथुरा से कांग्रेस के सीएलपी प्रदीप माथुर 4 बार से विधायक हैं, वहीं खुर्जा से बंशी पहाड़िया, हापुड़ से गजराज सिंह और शामली से पंकज मलिक कांग्रेस के विधायक हैं, स्याना से कांग्रेस विधायक दिलनवाज खान हाल ही में पार्टी छोड़ बसपा में शामिल हो चुके हैं, कांग्रेस ये सीट सपा को देने को राजी थी, लेकिन उसके बदले में दूसरी सीट मांग रही थी| और अब जहां से कांग्रेस को अपनी मजबूती दिखानी थी वहां से सपा ने अपने उम्मीदवार आजम खान के बेटे को सपा का टिकट दे दिया गया है| जबकि इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर नवाब काजिम अली जीते थे, जो हाल में बसपा चले गए, कांग्रेस रामपुर जिले की इस सीट को छोड़ने को तैयार थी, लेकिन उसके बदले में चमरौआ सीट चाहती थी, लेकिन सपा ने दोनों सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है| यही हाल मेरठ में भी देखने को मिला| अब इन सब को देखने के बाद यही कयास लगाये जा रहे है कि या तो गठबंधन की बात टूट गई है या अखिलेश सरकार कांग्रेस को दबाव में लेकर अपनी बात मनवाना चाहती है|

 

 

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