होंगी पूरी! जामिया मिलिया इस्लामिया की नवनियुक्त वीसी से एक छात्र की उम्मीदें

मास कम्यूनिकेशन के छात्र राजीव ने सोशल मीडिया पर वाइस चांसलर प्रो नज्मा अख्तर को लिखी चिट्ठी

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जामिया मिलिया इस्लामिया

महिला वीसी, महिला वीसी का राग अपने आप में बहुत कुछ बता रहा है. अधिकतर लोग जो मिले हैं उन्होंने इसका स्वागत ही किया है। जिनलोगों से मिला हूं, या जिनलोगों को पढ़ रहा हूं सोशल मीडिया पर उनमें एक अलग किस्म की खुशी प्रतिबिंबित हो रही है।ये खुशी बता रही है कि समाज अब महिलाओं को लेकर एक अलग नज़रिया से देखना शुरू कर दिया है। लेकिन महिला वीसी होने पर खुशी ये भी दिखा रहा है महिलाएं कैसे पहले दबी हुई थी और अब भी अपनी पंख फैला कर आधी आबादी का पूरा हक मांग रही हैं!

नवनियुक्त वीसी प्रो नज्मा अख्तर

मैं जब ये पहली बार सुना कि जामिया के इतिहास में पहली बार कोई महिला इस विशिष्ट पद पर पहुँची है तो खुशी हुई! एक महिला हमेशा से लब्धप्रतिष्ठित ही रहती है, बस अपने चेतना को पहचानना चाहिए की वो है क्या!जामिया के छात्र होने के नाते कई उम्मीदें उनसे जुड़ जाती है। अगर कोई पुरुष वीसी बना होता तो मुझे उससे कोई चाह नहीं होती लेकिन महिला वीसी सुन स्वतः उम्मीदें और प्रबल जो गई हैं!

उम्मीद है ये इस्लामिल रेडिकल विचार जो जामिया पैठ बनाया हुआ है उसपर वो बेहिचक निर्णय लेंगी! इस बार इस्लामिक तहजीब के नाम पर लड़कियों को उनके कपड़े पहनने की स्वतंत्रता पर जिस तरह से हंगामा हुआ वो आगे ना दिखे यही इच्छा है!शाम को ग्राउंड-दर-ग्राउंड घूम-घूम जो ‘मोरल पुलिसिंग’ होता है उससे लड़कों-लड़कियों को निजात मिलेगा और लड़के-लड़कियां एक खुला माहौल में जामिया में बैठ सकेंगे!

यूनिवर्सिटी कैंपस

उम्मीद है कि वीसी साहिबा की इस्लामिक भावनाएं लड़कियों को शार्ट में देख, जीन्स में देख, आहत नहीं होगी।उम्मीद ये भी है कि वो खुद “काला झोपड़ी” (बुरखा) को ज्यादा तवज्जों देने वाली नहीं होंगी और इसके सख्त खिलाफत में होंगी!

पर ये सब तो उम्मीदें हैं और उम्मीदों का क्या वो तो टूटती ही हैं।उम्मीद ये भी है ये उम्मीद नहीं टूटेगी!

(आमीन)

@Rajiv

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