चुनाव की चुनौती! राजपथ का रास्ता लहुलुहान लथपथ?

अपनी विचारधारा को बम औ बंदूक के जरिए मनवाने की ये कैसी जिद

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भारतीय निर्वाचन आयोग

17 वीं लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक धमाका हुआ जिसमें भाजपा विधायक भीमा मंडावी समेत पांच लोगों की मौत हो गई।

ये धमाका किस को धमकाने के लिए हुआ?
अगर चुनाव आयोग को? तो ये सीधे तौर पर संविधान के पुरोधा बाबा साहब की आकांक्षाओं की हत्या है और अगर ये धमाका ‘हम भारत के लोग’ को धमकाने के लिए हुआ तो ये भारतीय लोकतंत्र की आकांक्षाओं की हत्या है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक ये हमला नक्सलवादी संगठनों ने किया है इससे पहले भी मई 2013 में बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर भीषण हमला हुआ था जिसमें कॉग्रेस की तकरीबन पूरी लीडरशिप ही समाप्त हो गई थी। इन हमलों के पीछे वजह चाहे सुरक्षा मानकों का पालन ना किया जाना हो या कुछ और, लेकिन दिल में सवाल उठता है कि क्या कोई मानव ऐसी अमानवीय घटनाओं को अंजाम दे सकता है? क्या अपनी बातों को ‘हम भारत के लोग’ तक पहुंचाने का बस यही रास्त बाकी रह गया है… लहुलुहान लथ – पथ!
– अब्राहम मिएराज

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