मतदान चलता रहा मर्यादाएं टूटती रहीं 

17 वीं लोकसभा का चुनाव प्रचार अभियान भारतीय सभ्यता और संस्कृति की तमाम सीमायें लांघता हुआ दिखाई दिया

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भारतीय निर्वाचन आयोग

हमारा देश लोकतांत्रिक देश है यहाँ सत्ता की चाभी जनता के हाथ में होती है,उस चाभी को पाने के लिए नेता सारे जुगत लगाते हैं | देश में हर वर्ष चुनाव होता ही रहता है,हर चुनाव कुछ ना कुछ छाप छोड़ जाता है,उसी तरह 2019 लोकसभा चुनाव भी अपनी छाप छोड़ गया | 7 चरणों में संपन्न हुए मतदान में एक तरफ मतदान चलता रहा तो दूसरी तरफ मर्यादाएं टूटती रही | चुनाव लोकतंत्र का अभिन्न अंग है, देश में आगे भी चुनाव होते रहेंगे और इससे पहले भी चुनाव हुए लेकिन यह चुनाव युद्ध के जैसा रहा , हर नेता अपने विपक्षी दल के नेता को अपशब्द कहने से बाज नहीं आ रहे थे | सियासत में वैचारिक मतभेद तो ठीक है लेकिन व्यक्तिगत मतभेद क्या उचित है ? राजनीति में मर्यादाएं तार-तार करने की शुरुआत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने की जिसे वर्तमान प्रधानमंत्री ने आगे बढाया,राहुल गाँधी ने हाथो-हाथ लिया और ममता ने तो हद ही पार कर दी | अब यह लगभग सभी नेताओं की पहचान बन चुका है |

हम क्या कम हैं

2019 लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान में कोई भी नेता किसी से कम नहीं रहा,यहाँ तक की प्रधानमंत्री जैसे बड़े पदों की गरिमा भी नहीं बची,चौकीदार चोर के नारे लगे,कोई अली को कोई बली को रिझाने में लगे रहे,प्रधानमंत्री को थप्पड मारने की बात हुई,महिलाओं के अन्तःवस्त्र की चर्चा हुई तो मैदान में अनारकली शब्द का भी इस्तेमाल हुआ | पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री की पत्नी तक को चुनाव में घसीट लिया,हद तो तब हो गयी जब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गजेडी की उपाधि दे दी | मंत्री ओमप्रकाश राजभर माँ की गाली तक बोलते नज़र आये,नाथू राम गोडसे की तारीफ सुनाई दी,शहीदों का अपमान भी किया गया | इस चुनाव से पहले अभी तक ऐसा नहीं हुआ कि कुछ लोगों को छोड़कर सबके सबके मर्यादा का उलंघन करे | पिछले 5-6 वर्षों में देश में बहुत परिवर्तन देखने को मिला है पहले अन्ना आन्दोलन जो जनहित में था लोगों को जागरूक कर गया दूसरा अन्ना आन्दोलन में सहयोगी रहे केजरीवाल,जिन्होंने मर्यादाएं लांघनी शुरू की,उसके बाद आया मोदी दौर,ये दौर वो सुनामी लाया जिसने विपक्ष की हैसियत ही छीन ली,मोदी के आगे सभी नेता बौने हो गये,फिर चला अस्तित्व बचाने का दौर ये सबसे खतरनाक दौर रहा पक्ष-विपक्ष दोनों ही तरफ से मर्यादाएं लांघी गयी |

मुख्यमंत्री पर बैन और प्रधानमंत्री को गुंडा 

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

2019 लोकसभा चुनाव अपने आप में पहला चुनाव रहा जिसमे किसी मुख्यमंत्री को 72 घंटे चुनाव प्रचार ना करने की सजा मिली और इसी चुनाव में एक मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री को गुंडा कहकर बुलाया | देश में चुनाव होते रहे हैं लेकिन कभी इस तरह का युद्ध नहीं देखा गया,भारतीय लोकतंत्र को विश्व में सबसे सुन्दर लोकतंत्र कहा जाता है यहाँ राजनेताओं में मतभेद तो रहा है लेकिन मनभेद कभी नहीं रहा,उस खूबसूरती को आज खुद राजनेता अपने हाथों से तोड़ रहे हैं|इसी घमासान में गृहमंत्री राजनाथ सिंह सरीखे कई नेता रहे जिन्होंने मर्यादाओं का ख्याल रखा कभी मुंह से अपशब्द नहीं निकाले,प्रधानमंत्री ने अपशब्द तो नहीं निकाले लेकिन हिन्दू – मुस्लिम का जमकर प्रयोग किया जबकि अबतक के इतिहास में नरेन्द्र मोदी ही ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने जाति – पाति,धर्म – पंथ से ऊपर उठकर सबको एक समान माना और जो भी योजनाये लाये वो सर्व धर्म व सर्व समाज के लिए था |

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