भाजपा से दुश्मनी तो कर लें लेकिन तुम से दोस्ती क्यों करें?

अल्लाह से डरने वालों को भाजपा का भौकाल कौन दिखाता है?

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गेस्टहाउस कांड के बाद मायावती मुलायम पहली बार एक साथ

लखनऊ ।ज्यादातर मुसलमान गठबंधन के लिये पागल हो रहे हैं कोई यह नही पूछता इस गठबंधन से मुसलमानों को मिलेगा क्या?

पूछना तो यह भी चाहिए कि क्या अखिलेश यादव और मायावती ने मुस्लिम समाज से पूछकर गठबंधन किया? अगर पूछा  तो पीस पार्टी को क्यों नहीं शामिल किया? आप पिछड़ा दलित मुसलमानों के नेतृत्व करने वाली किसी पार्टी को शामिल नही कर रहे मगर हम फिर भी आप को वोट दें, तो यह गठबंधन चुनाव में ज्यादा सीटें जीतेगा तो मुस्लिम समाज को क्या मिलेगा.. आजम खान और उसके खानदान की गुलामी?

क्या फायदा देगा कोई नही पूछ रहा सिर्फ खुश हो रहा है जो गठबंधन सपा बसपा ने किया है उन्हें तो इसका पूरा लाभ मिलेगा क्योंकि मायावती के पास तो खोने को कुछ है ही नही और अखिलेश यादव जी के परिवार के अलावा पिछली लोकसभा से कोई जीता नहीं। इस चुनाव में मुसलमानों को इस गठबंधन को वोट न करके किसी अन्य विकल्प को अपनाना चाहिये जिससे इन दोनों पार्टियों को अहसास हो कि बिना इस समाज को कुछ दिए अब कुछ हासिल नहीं होगा।

लेकिन लगता नहीं कि ऐसा होगा! क्योंकि हमारे अन्दर सोचने की शक्ति है ही नहीं जो कौम कहती है कि वह अल्लाह के अलावा किसी से नहीं डरती वह कौम यहां दूसरों को मुहाफ़िज़ और अपना रहनुमा मानती है अगर मुस्लिम समाज को कुछ पाना है तो उसे और उसके रहनुमाओ को चाहे राजनैतिक हों या धार्मिक समाज के लिये एक बड़ा ग्राफ बनाना पड़ेगा तब ही सुधार मुमकिन है सोचने की जरूरत है कि अल्लाह से डरने वाली कौम भाजपा के भोकाल से क्यों डरती है?

सोचने की जरूरत जो समाज या कौम सही निर्णय लेने की ताकत नही रखती उसे कोई न्याय नही दिला सकता
खुद के मफाद को छोड़कर सामाजिक मफाद के लिये सोचने की जरूरत है

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