तो! हुआ तो हुआ

ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के 'हुआ तो हुआ' वाले बयान को किस रूप में लेना चाहिए इसकी व्याख्या करता हुआ लेख

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“हुआ तो हुआ”‘ महज तीन शब्द नही है बल्कि भरा पूरा विचार है जो व्यक्ति को गैर जिम्मेदार , अकर्मण्य और नकारा बना देता है….हमारे ‘ हुआ तो हुआ ” वाले विचार का लाभ उठाकर अपराधी , बलात्कारी , घोटालेबाज अपराध करने बाद भी हाथ जोङे हुए हमारे बीच आता है और हम उसे’ हुआ तो हुआ ‘ कहकर माफ कर देते है और वह नये अपराध की योजना मे लग जाता है…, पार्टियो या संगठनों के बङे से बङे देश और समाज विरोधी कार्यो को हम नजरअंदाज कर देते है और ये दल बार बार हमारे साथ छल करके सत्ता प्राप्त कर हमारा ही शोषण करते है……..इसी ‘हुआ तो हुआ ‘ वाली सोच के कारण विदेशी हमारे यहॉ कब्जा करके हमारे उपर हुक्म चलाते रहे और हमारा शोषण करते रहे।

सैम पित्रोदा केवल व्यक्ति नही बल्कि कांग्रेस का थिंक टैंक है जो कांग्रेस के विचार को प्रदर्शित करता है लेकिन केवल कांग्रेस ही क्यो? मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अपने शासनकाल मे पिछड़े छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति रोककर और बेगुनाह यादवों का गेस्टहाउस कांड के प्रतिशोध में उत्पीङन करने वाली बसपा के आगे नतमस्तक होकर भी सपा अपने आप को पिछङो के हितैषी के रूप में प्रदर्शित कर रही है! पर हमे क्या? पहले जो “हुआ तो हुआ’…….। मऊ दंगे मे जिनके कारण निर्दोष यादव मारे गये, हम  उन्ही को वोट देगें, पहले जो ‘हुआ तो हुआ’ हमें क्या…..। कांग्रेस शासन मे लाख घोटाले हुए हों भ्रष्टाचार हुआ हो तो हमें क्या….। हम वोट उसी को देगें, पहले जो  ‘हुआ तो हुआ ………. । पर अब नही, अगर देश को भ्रष्टाचारियों, देशद्रोहियों, परिवारवादियों ,जाति धर्म में बाटने वालो से बचाना है तो यह ‘हुआ तो हुआ’ वाली सोच बदलनी होगी ऐसे नेताओं, पार्टियों एवं अपराधियों का सामाजिक, सांस्कृतिक  आर्थिकएएवं राजनैतिक बहिष्कार करना होगा।

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