अपोलो

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मरीज के शरीर को निष्प्राण करके दिया नया जीवन, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने सफलतापूर्वक दिया 48 घण्टे की मैराथन सर्जरी को अंजाम
• 50 से अधिक डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने 4 चरणों में दिया जटिल सर्जरी को अंजाम
• शरीर को डीप हाइपोथर्मिक कार्डियक अरेस्ट स्थिति में ले जाकर निकाला गया सारा खून

लखनऊ, 10 सितंबर, 2022: अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर्स लगातार मरीजों के विश्वास को कायम रखते हुए एक के बाद एक जटिलतम सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं। हाल ही में हॉस्पिटल में 48 घण्टे तक चले सर्जिकल प्रोसीजर के जरिये न केवल एक महिला स्केच आर्टिस्ट को उसकी आंखों की रोशनी वापस मिली बल्कि मष्तिष्क में बने एन्यूरिज्म से भी निजात मिला। यदि समय रहते इस सर्जरी को न अंजाम दिया गया होता तो यह एन्यूरिज्म कभी भी फटकर महिला के जीवन के लिए खतरा बन सकता था।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के एमडी व सीईओ डॉ मयंक सोमानी ने बताया, ” यह एक बहुत ही जटिल सर्जरी थी और मरीज के मष्तिष्क में विकसित हुआ एन्यूरिज्म कभी भी फटकर मरीज के जीवन को खतरा पैदा कर सकता था। इस पूरी जटिल सर्जरी में 50 डॉक्टर्स और पैरामेडिक्स की टीम को लगभग 48 घण्टे का समय लगा। बिना थके अपने प्रोफेशनल कमिटमेंट को पूरा करते हुए टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया और मरीज की जान बचाई। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की इन-हाउस टीम होने के चलते हम ऐसी जटिल सर्जरी के मामले में कोई भी निर्णय बिना समय गंवाए ले सकते हैं। हमारी टीम अपने उद्देश्य और लोगों की उम्मीदों पर लगातार खरा उतर रही है, यह हमारी पूरी टीम के लिए बेहद गौरवपूर्ण क्षण है। हमारे यहां के सुपरस्पेशलाइज्ड डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ ने इस बात को लगतार साबित किया है कि मेडिकल चुनौतियों का सामना करने में हम सर्वश्रेष्ठ हैं।” ”

डॉ मयंक सोमानी ने कहा “यह अपने आप में इस तरह का पहला मामला है जिसमें न्यूरोसर्जरी के लिए रोगी के शरीर के रक्त प्रवाह को रोक दिया गया हो और उसके शरीर को (एक तरह से) मृतप्राय अवस्था में ला दिया गया हो। इससे पहले इस तरह की जटिल सर्जरी सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही मुमकिन थी लेकिन अपोलो हॉस्पिटल अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग एवं सभी प्रकार के सुपरस्पेशलिटी विशेषज्ञों की त्वरित उपलब्धता के कारण अब लखनऊ में ही हम इस तरह की जटिल सर्जरी करने में सक्षम हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ की भविष्य में भी हम इस तरह के चिकित्सकीय कीर्तिमान बनाते हुए प्रदेश की चिकित्सा सेवाओं को सर्वश्रेष्ठ बनाने हेतु प्रतिबद्ध हैं।“

इस सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम के प्रमुख डॉ सुनील कुमार सिंह, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जरी, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल ने बताया, “मरीज की दोनों आंखों की रोशनी दो दिन के भीतर ही चली गईं। उस अवस्था मे जब उसकी गहन जांच हुई तो हुई तो मालूम पड़ा कि मष्तिष्क में एक बहुत बड़ा एन्युरिज्म डेवलप हो चुका था। जो उसकी आंखों की नर्व्स को दबा रहा था, जिससे आंखों की रोशनी चली गई थी। एन्युरिज्म को दोनों तरफ से क्लिप किया जाना जरूरी था ताकि एन्यूरिज्म वाले स्थान को ब्लड सप्लाई को रोका जा सके। ब्लड सप्लाई रुकने से यह एन्यूरिज्म स्वयं ही पिचक कर सामान्य स्थिति में आ जाता और आर्टरीज का गुच्छा खत्म हो जाता। इस जगह पर हमारी टीम ने दोनों तरफ से रक्तप्रवाह रोकने के लिए क्लिपिंग कर दी, लेकिन उसके बावजूद इस गुच्छे में रक्तप्रवाह हो रहा था। गुच्छा इतना बड़ा था कि उसके आसपास रक्तप्रवाह करने वाली आर्टरी को ढूंढना असंभव हो गया।”

इसके बाद अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीनियर सीटीवीएस सर्जन डॉ भरत दुबे और उनकी टीम से इस केस की चर्चा की गई। उन्होंने गहनता से जांच के बाद एन्यूरिज्म को ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरी को क्लिप करने के लिए मरीज के शरीर में रक्त के प्रवाह को पूरी तरह रोकने का निर्णय लिया।

डॉ भरत दुबे ने बताया, “रक्त-प्रवाह रोकने के लिए मरीज के शरीर को डीप हाइपोथर्मिक सर्कुलेटरी अरेस्ट की स्थिति में लाया गया, इसके बाद शरीर से पूरा खून बाहर निकाल लिया गया। मरीज के हृदय और फेफड़ों को हार्ट एंड लंग मशीन के जरिये ब्लड की सप्लाई जारी रखी गयी। सामान्य परिस्थिति में इससे शरीर मृतप्राय हो जाता है लेकिन इस मामले में मरीज की जान बचाने के लिए ऐसा किया गया।”

डॉ प्रार्थना सक्सेना, कंसलटेंट न्यूरोसर्जरी, “अपोलोमेडिक्स ने बताया, “मरीज को इस स्टेज में लाने के बाद डॉक्टर्स के पास केवल 30-35 मिनट का समय था और उससे पहले ही रक्त प्रवाह सामान्य करना था ताकि रक्त प्रवाह रुकने से मष्तिष्क को क्षति न पहुंचे। डॉक्टर्स ने सफ़लतापूर्वक अंजाम दिया और एन्यूरिज्म को ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरी को क्लिप कर दिया गया। इसके बाद मरीज के शरीर मे धीरे-धीरे रक्तप्रवाह को एक बार फिर से सामान्य स्थिति में लाया गया।”

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