लखनऊ / दिल्ली । मुंबई हाई कोर्ट औरंगाबाद बेंच ने खराब वेंटीलेटर्स के मामले में सामने आने पर केंद्र सरकार से नाराजगी जाहिर की है बेंच दरअसल बेंच का कहना है कि केंद्र सरकार को लोगों की जान के बजाए ऐसे खराब एंटी लेटेस्ट बनाने वाली कंपनियों की ज्यादा चिंता है।
दरअसल कुछ अस्पतालों की तरफ से कोर्ट में यह बताया गया है कि पीएम केयर्स फंड के तहत केंद्रीय से मिले 150 से 113 बंटी लेटर नहीं चल रहे हैं इसी को लेकर हाईकोर्ट ने बीते मंगलवार केंद्र को फटकार लगाते हुए पूछा खराब वेंटीलेटर्स के लिए केंद्र के पास क्या उपाय है?
इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इरिटेंट सॉलीसीटर जनरल अजय तनहार ने शुक्रवार को कोर्ट को बताया कि 150 वेंटिलेटर की सप्लाई पीएम केयर्स फंड के तहत नहीं की गई थी।
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि इन वेंटीलेटर्स की गुजरात की ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड कंपनी ने बनाया था औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जीएमसीएच के डॉक्टरों और पैरामेडिकल उसको वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए सही ट्रेनिंग नहीं दी गई हुई।
इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा था कि इन वेंटीलेटर्स को जीएमसीएच के डीन की ओर से तय प्रक्रिया के बाद ही बताया गया था और अब तो वह कह रहे हैं कि मशीनें खराब है।
वहीं दूसरी तरफ जस्टिस आरवी और जस्टिस बीओ देवदार ने वेंटीलेटर के बचाव में दी गई केंद्र की दलील को खारिज कर दिया। केंद्र से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ब्रेन गेम में ना पड़ती तो ज्यादा बेहतर होता।
उन्होंने कहा एक एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने की बजाय केंद्र को मरीजों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी किसी भी सरकार के लिए जरूरी है कि वह अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल करें।