लखनऊ /कानपुर । उत्तर प्रदेश के सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक तबकों में रामचरित मानस को लेकर जबरदस्त उठापटक मची हुई है। इस उठापटक की शुरुआत सपा के एमएलसी और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने की थी। सियासी अटकलों के विपरीत उन्हें सपा का राष्ट्रीय महासचिव मनोनीत कर अखिलेश यादव ने अभूतपूर्व सियासी शिफ्ट किया है। इसके बाद प्रदेश के कई दल खुलकर मुखालपत करते नजर आए। इसी के तहत इन्ही के सहयोगी रहे सुभासपा ने अब इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा कानपुर देहात सत्यम कटियार ने सपा पर हमला बोलते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव मनोनीत कर उनका प्रमोशन करना साफ-साफ य़ह दर्शाता है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सहमति “रामचरित मानस” की धज्जियां उड़ाने मे थी। जिसका पुरस्कार स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर दिया गया है।
सत्यम कटियार ने कहा कि स्पष्ट है कि नेवला प्रसाद यानी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी समाजवादी पार्टी भगवान श्रीराम के ही नहीं अपितु पूरे सनातन धर्म के सत्यम कटियार ने कहा कि स्पष्ट है कि नेवला प्रसाद यानी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी समाजवादी पार्टी भगवान श्री राम के ही नहीं अपितु पूरे सनातन धर्म के दुश्मन है। इन्हें सनातन धर्म से कोई लेना देना नहीं है। इनका काम समाज में द्वेष भाव पैदा करना है।
बता दें कि आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सनातनधर्म के ग्रंथ की प्रतियां सार्वजनिक रूप से जलाई गई है। जबकि इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस की चौपाई से ब्राह्मण और दलित की तुलना कर उस पर सवाल उठाया है। साथ ही संत समाज, ब्राह्मण समाज और सनातन धर्म को लेकर भी अपशब्द कहे है।