CBI का छापा : गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले की जांच

सिल्ट सफाई का ही 1.89 करोड़ रुपये का काम मो. आसिफ खान की तराई कंस्ट्रक्शन को दिया गया। इसमें एल-2 व एल-3 (नीचे से दूसरे व तीसरे नंबर के रेट देने वाली) फर्म फर्जी ढंग से सिर्फ दिखाई भर गईं। इसी तरह से सीबीआई ने अधिकांश टेंडर को प्रकाशित कराने और काम आवंटित करने में फर्जीवाड़ा पकड़ा है। कई टेंडरों का प्रकाशन ही नहीं कराया गया। इसका एफआईआर में जिक्र है।

0
1164

लखनऊ / दिल्ली । उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल के दौरान लखनऊ में बड़े घोटाले में CBI ने अपनी जांच की गति तेज कर दी है। लखनऊ में चर्चित Gomati river front घोटाले में सुबूत जुटाने के लिए सोमवार को CBI ने ताबड़तोड़ छापे मारे। सिंचाई विभाग के इस project से जुड़े रहे तत्कालीन 16 engineer समेत 189 फर्म्स और कंपनियों के प्रतिनिधियों के ठिकानों पर छानबीन की गई। यूपी के 13 शहरों के अलावा अलवर (राजस्थान) और कोलकाता में एक साथ 40 जगहों पर सीबीआई की टीमें पहुंचीं। देर शाम तक सीबीआई की पड़ताल जारी थी। 

 

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने यूपी सरकार के अनुरोध पर दो जुलाई को ही इस मामले में केस दर्ज किया था। यह मुकदमा IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत लिखा गया। सिंचाई विभाग के करीब 407 करोड़ रुपये लागत के गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डवलपमेंट प्रोजेक्ट में अनियमितताएं और अवैध गतिविधियां सामने आने पर यह कार्रवाई की गई। इससे पहले लखनऊ के गोमती नगर पुलिस थाने में भी इस मामले में FIR दर्ज हो चुकी है।

सीबीआइ की एंटी करप्शन की टीमों ने एक साथ उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ के साथ गाजियाबाद, बरेली, गौतमबुद्धनगर, सीतापुर, बुलंदशहर, आगरा, रायबरेली, इटावा तथा पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है। लखनऊ में करीब 1800 करोड़ के घोटाले में 190 लोगों के खिलाफ नया केस दर्ज किया गया है। इनमें नेता, व्यापारी तथा आइएएस अधिकारी व इंजीनियर भी हैं। सीबीआइ की एंटी करप्शन टीम ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आधा दर्जन आरोपितों के कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। टीमें कागजों की पड़ताल में लगी हैं। यह मामला बेहद गंभीर होने के कारण कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

गाजियाबाद के शिवालिक अपार्टमेंट में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के घर पर कई गाडिय़ों में टीम पहुंची है। यहां पर छापेमारी चल रही है। बुलंदशहर में रिवर फ्रंट घोटाले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य राकेश भाटी के आवास प्रीत विहार के घर पर छापा मारा गया। आगरा में भाजपा नेता नितिन गुप्ता के घर विजय नगर कालोनी में सीबीआइ की टीम पहुंची। नितिन गुप्ता पहले समाजवादी पार्टी में बड़े पद पर था। उसकी अनुपमा ट्रेडिंग कंपनी के नाम से फर्म है। इसने रिवर फ्रंट में पत्थर लगवाने का काम किया था।

इटावा में रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई का शहर के चोगुर्जी मैं ठेकेदार पुनीत अग्रवाल के घर पर छापा मारा गया। पुनीत अग्रवाल को पूर्व मंत्री शिवपाल यादव का बेहद करीबी बताया जाता है। सीबीआई की छह सदस्य की टीम सुबह पुनीत अग्रवाल के घर पर पहुंची थी। इस टीम ने पुनीत अग्रवाल के ठेके के कागजों की जांच की गई है। पुनीत ने 2012-13 में रिवर फ्रंट पर नहर में बंधा बनाने का कार्य किया था। पुनीत अग्रवाल ने बताया कि वह इस समय इटावा में नहीं है बाहर है वह सीबीआई को सारे कागज पहले ही दे चुका है। 

इसको गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर सजाने की योजना थी। समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे। इसमें 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। इस दौरान रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया था।

इस घोटाले में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के कई करीबी नेता भी आरोपित हैं। आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। इस बड़े प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में इसकी न्यायिक जांच में कई खामियां उजागर हुईं। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी।

घोटाले के मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया था। इसके बाद नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू उत्तर प्रदेश ने भी जांच शुरू कर दी थी। दिसंबर 2017 में मामले की जांच सीबीआइ के पास चली गई और जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। दिसंबर 2017 में ही आइआइटी की टेक्निकल टीम ने भी जांच की। इसके बाद सीबीआइ की जांच को आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। 

गोमती रिवर की 1.2 किमी लंबाई में सिल्ट सफाई का काम सुनीता यादव की ग्लोबल कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया। इसकी अनुबंधित लागत 1.88 करोड़ रुपये थी। सुनीता का बिजिनेस उनके पति त्रुशन पाल सिंह यादव देखते हैं। इस टेंडर में दूसरी बिड मेसर्स मा अवंतिका बिल्डर्स ने डाली, जिसके प्रोपराइटर सुनीता के पति त्रुशन पाल ही थे। यानी, पति व पत्नी ही एक-दूसरे से एल-1 आने के लिए कॉम्प्टीशन कर रहे थे।

जांच में कहा गया कि परियोजना में कुल 673 कामों के लिए अलग-अलग अनुबंध किए गए। इनमें से 519 काम टेंडर से दिए गए। 115 काम कोटेशन, 29 काम सीधी आपूर्ति, 9 काम मिश्रित खर्च और एक काम एमओयू के आधार पर दिए गए। अधिकांश टेंडर नियमानुसार, राष्ट्रीय समाचार पत्रों में नहीं छपवाए गए। साठगांठ करके फर्जी लेटर सूचना विभाग को भेजे गए। आपूर्ति आदेश और चयन बांड संदिग्ध लाभार्थी फर्मों और कंपनियों को दिए गए।

सिल्ट सफाई का ही 1.89 करोड़ रुपये का काम मो. आसिफ खान की तराई कंस्ट्रक्शन को दिया गया। इसमें एल-2 व एल-3 (नीचे से दूसरे व तीसरे नंबर के रेट देने वाली) फर्म फर्जी ढंग से सिर्फ दिखाई भर गईं। इसी तरह से सीबीआई ने अधिकांश टेंडर को प्रकाशित कराने और काम आवंटित करने में फर्जीवाड़ा पकड़ा है। कई टेंडरों का प्रकाशन ही नहीं कराया गया। इसका एफआईआर में जिक्र है।

सीबीआई जांच शुरू हुई तो सिंचाई विभाग ने विकास कार्य भी पूरे नहीं कराए। रबर डैम से लेकर कई जगह डायफ्रॉम वॉल, ड्रेनेज सिस्टम के काम अधूरे छोड़ दिए गए। शासन के निर्देश पर एलडीए ने रिवरफ्रंट पर पार्कों का जरूर विकसित कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि करीब 8.5 किमी नदी के दोनों तरफ डायफ्रॉम वॉल बनाई गई। इसके बाद नदी क्षेत्र में बची जमीन को ग्रीनबेल्ट के रूप में विकसित करने का काम होना था। 

सिंचाई विभाग से इस काम को लेकर उद्यान से जुड़े काम एलडीए को दे दिए गए। सिविल वर्क और बिजली से जुड़े काम सिंचाई विभाग के पास अब भी हैं। पूरे प्रोजेक्ट की जांच जब शुरू हुई तो सिंचाई विभाग के काम करने पर रोक लग गई। ऐसे में इसके सौंदर्यीकरण के कई काम फंस गए। इनमें म्यूजिकल फाउंटेन, मैरिज लॉन, सीवर लाइन, पंपिंग स्टेशन, रबर डैम आदि शामिल हैं।

LEAVE A REPLY