मीडिया खुद से पूछे तो, क्या मैं आजाद हूँ!

कोरोना जैसी घातक वैश्विक महामारी और उसके चलते दुनिया के अधिकतर देशों में घोषित लॉकडाउन में भी बहुत से पत्रकारों को फील्ड में रहकर समाचार एकत्र करने और भेजने के अत्यंत जोखिम भरे काम कर रहे हैं. सही मायने में वे भी कोरोना वारियर्स ही हैं

2
895

लखनऊ / दिल्ली । 3 मई को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ यानी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ के अवसर पर दुनिया भर के कलम, कैमरे और कंप्यूटर के साथियों को बधाई और उनके उज्वल भविष्य की शुभकामनाएं. इसके साथ ही प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए अपना सर्वस्व, यहां तक कि अपनी जान भी जोखिम में डालनेवाले मीडिया कर्मियों को बड़ा सलाम।

सही मायने में देखें तो यह देश और दुनिया के भी बड़े हिस्से में पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए भी गंभीर संकट का समय है. कहीं उन्हें अपनी जान तो कहीं नौकरी-रोजगार का जोखिम उठाकर भी पत्रकारिता के अपने दायित्वों को निभाना पड़ रहा है. कई अखबार-मीडिया संस्थान बंद हो रहे हैं तो कहीं बड़े पैमाने पर छंटनी और वेतन सुविधाओं में कटौती हो रही है।

खासतौर से कोरोना जैसी घातक वैश्विक महामारी और उसके चलते दुनिया के अधिकतर देशों में घोषित लॉकडाउन में भी बहुत से पत्रकारों को फील्ड में रहकर समाचार एकत्र करने और भेजने के अत्यंत जोखिम भरे काम कर रहे हैं। सही मायने में वे भी कोरोना वारियर्स ही हैं लेकिन उनकी सुध लेनेवाला कोई नहीं. उनके लिए सरकारों और मीडिया संस्थानों की ओर से भी किसी तरह की सुरक्षा और बचाव के कार्य नहीं किए जा रहे हैं। उनके लिए हमारे देश में बीमा के प्रावधान भी नगण्य हैं. सरकार और मीडिया संस्थानों को भी इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा।

इसके साथ ही, खासतौर से हमारे भारत देश में मीडिया के एक बड़े तबके को अपनी भूमिका के बारे में आत्मावलोकन या आत्म निरीक्षण करने का समय भी आ गया लगता है। मीडिया का एक बड़ा तबका आज जन सरोकारों से कटते जा रहा है। प्रसार अथवा टीआरपी बढ़ाने के नाम पर वह विश्वसनीयता की परख किए बगैर अफवाहनुमा सूचनाओं पर आधारित समाचार भी परोस रहा है जिसे हम फेक न्यूज कह सकते हैं।

हमारी ही बिरादरी के कुछ लोग इस तरह की फेक न्यूज के आधार पर सांप्रदायिकता और धार्मिक आधार पर नफरत के माहौल को बढ़ावा देने में भी लगे हैं. यह न सिर्फ स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल है, देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक भी है। हमें अफवाहों के वाहक नहीं बल्कि निवारक की भूमिका में आना होगा।

नया मीडिया के रूप में विख्यात सोशल मीडिया का इस समय देश और दुनिया में भी बड़ी तेजी से प्रसार बढ़ा है. सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं. एक तरफ तो यह बिना किसी दबाव के सिटिजन पत्रकारिता को बढ़ावा दे रहा है। वहीं बेलगाम और गैर जिम्मेदार होने के कारण कुछ निहित स्वार्थी तत्व इसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक एवं अन्य तरह के स्वार्थों की पूर्ति के लिए भी करने में लगे हैं. इस लिहाज से देखें तो सोशल मीडिया को भी स्वतंत्र और दबाव रहित होने के साथ ही किसी न किसी रूप में जिम्मेदार और जवाबदेह भी बनना होगा। 

2 COMMENTS

  1. विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की बधाई

    बेहतरीन लेख

  2. Thanks for finally talking about > मीडिया खुद से पूछे तो,
    क्या मैं आजाद हूँ!
    – Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी
    समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi,
    ताजा ख़बरें, Aaj Tak News < Liked it!

LEAVE A REPLY