लखनऊ / मऊ/ घोसी। ग्राम पंचायत को स्थानीय शासन की सबसे छोटी इकाई माना जाता है आमतौर पर यहां हर किसी के साथ पारिवारिक संबंध होते हैं इसलिए इसे घर का मामला भी माना जाता है स्थानीय तहसील क्षेत्र के बड़रांव ब्लाक में बिना टेंडर के कार्य कराने व लगभग ग्यारह लाख चालीस हजार रुपये की धनराशि आहरित किये जाने का मामला प्रकाश में आया है।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी ने सम्बंधित ग्राम सचिव को नोटिस देते हुए दो दिन के अंदर अपना पक्ष रखने व आहरित धनराशि को वापस खाते में जमा करने की सख्त हिदायत दी थी। जिसे पंचायती राज मंत्री उपेंद्र तिवारी के आने के बाद सम्बंधित ग्राम सचिव को निलम्बित कर दिया गया। लेकिन सवाल इससे कहीं बड़ा है, क्या इतने बड़े घालमेल में अकेला ग्राम पंचायत सचिव ही शामिल रहा होगा। लगता है फर्जी पासपोर्ट कांड की तर्ज पर एक बार फिर बड़ी मछलियों को बचाने के चक्कर में छोटी मछलियों को निशाना बनाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि बड़रांव ब्लाक के ग्राम पंचायत भटमिला पांजेपार, मुजार बुजुर्ग और सोहड़ में सम्बंधित ग्राम पंचायत सचिव अरविंद सिंह ने बिना टेंडर व प्रशासनिक स्वीकृति के दो दिनों के अंदर विभिन्न मदों से लगभग ग्यारह लाख चालीस हजार रुपये की धनराशि आहरित कर ली। जांचोपरांत ज़िला पंचायत राज अधिकारी घनश्याम सागर ने इस सम्बंध में ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम प्रधानों को नोटिस देते हुए दो दिन के अंदर अपना स्पष्टीकरण देने व आहरित धनराशि वापस में जमा करने की सख्त हिदायत दी है।
ज़िला पंचायत राज अधिकारी की इस नोटिस से पूरे बड़रांव ब्लाक में हड़कम्प मचा हुआ था। इसी बीच पंचायती राज मंत्री उपेंद्र तिवारी के आने के बाद उक्त ग्राम पंचायत सचिव के साथ ही साथ पूर्व आईएएस व विधान परिषद सदस्य ए के शर्मा के गांव रानीपुर ब्लाक क्षेत्र के कांझा के ग्राम पंचायत सचिव को इस तरह की अनियमितता के सम्बंध में निलंबित कर दिया गया है ।
लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये सारे घालमेल केवल ग्राम पंचायत सचिव ही कर रहे थे। ऊपर के अधिकारियों को कुछ पता नहीं था। यदि पता नहीं, तो ये क्यो ना मान लिया जाये कि उच्च अधिकारी अपनी डयूटी के प्रति या तो लापरवाह रहे है या इस घोटाले के सहयोगी।