जज और सिपाही की लड़ाई मेँ उत्तर प्रदेश के एक सिपाही की जीत हो गयी, सुनने मेँ कानों का विश्वास नहीं होगा लेकिन आज की यही सच्चाई है कि सिपाही से पंगा लेना जज को महंगा पड़ा और सिपाही की वर्दी उतरवा देने वाले जज को अपनी ही कुर्सी छोडनी पड़ी। उनका तबादला कर दिया गया है।
यह घटना उत्तर प्रदेश के आगरा जिले जिले की है जहां जज की कार को आगे न निकलने देने के कारण वज्र वाहन के सिपाही की वर्दी उतरवाने वाले जज संतोष कुमार यादव को स्थानतरित कर दिया गया है। जज संतोष कुमार यादव का तबादला बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा स्थित डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी में कर दिया गया है। यह कार्रवाई आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार द्वारा प्रशासनिक जज और जिला जज को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर हुई है।
मामले की पूरी जांच के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मयंक कुमार जैन ने जज के तबादले का आदेश दिया है। आगरा पुलिस लाइन में तैनात ड्राइवर घूरे लाल ने वहाँ के पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार से शिकायत की थी कि एक न्यायिक अधिकारी ने शुक्रवार को कोर्ट में बुलाकर उनकी वर्दी उतरवा दी थी और जलील किया था।
सिपाही घूरे लाल के अनुसार न्यायिक अधिकारी ने उससे कहा कि उसने उनकी गाड़ी को साइड नहीं दी, इसलिए यह सजा दी जा रही है। मामला शुक्रवार दोपहर का है. जब वज्र वाहन जिला कारागार से किशोर कैदियों को लेकर मलपुरा क्षेत्र के सिरोली रोड पर स्थित किशोर न्यायालय बोर्ड जा रहा था। इसी दौरान वज्र के पीछे से किशोर न्यायालय बोर्ड के जज संतोष कुमार यादव भी अपनी कार से उसी रास्ते से जा रहे थे।
बताते हैं कि जज की कार के चालक ने साइड देने के लिए हॉर्न और हूटर का इस्तेमाल किया, लेकिन सिपाही चालक ने जज की गाड़ी को साइड नहीं दी। थोड़ी देर में वज्र वाहन कोर्ट पहुंचा. उसके पीछे जज भी अपनी कार से पहुंचे और आग बबूला हो गये।
वज्र वाहन के चालक को कोर्ट मेँ बुलाया गया और साइड न देने के लिए जमकर फटकार लगायी गयी और साथ मेँ चालक की वर्दी भी उतरवा दी गयी। इस घटना के वक्त कोर्ट परिसर में काफी लोग भी मौजूद थे. वहां मौजूद किसी शख्स ने इस बात की जानकारी कंट्रोल रूम को दी. वहीं, मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू की. जज से बातचीत के बाद ही चालक को वर्दी पहनने को दी गयी।
मामला सामने आने के बाद एसएसपी ने घूरे लाल और तीनों सिपाहियों को पुलिस लाइन बुलाकर उनका बयान दर्ज किया. इसके बाद मामले की पूरी रिपोर्ट प्रशासनिक जज और जिला जज को भेज दी गयी। शनिवार को हाईकोर्ट ने जज का तबादला कर दिया।