संत कबीर नगर। मैं हिन्दू, तू मुसलमान हैं, दोनों इंसान। ला मैं तेरी गीता पढ़ लूं, तू पढ़ ले मेरी कुरआन।
आज के वक्त में जहां एक तरफ सियासत धर्म और ऊंच नीच की भावना ने समाज को हर तरफ हिन्दू-मुस्लिम, जात पात में बांट रखा है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के पूर्वी ज़िले संतकबीरनगर से एक मसीहा निकलकर सामने आया है जिसने नफरतों की सारी दीवारों को तोड़ते हुए इंसानियत और दिलदार जज़्बे की मिसाल पेश की है।बुलंद भारत की ये बुलंद तस्वीर संतकबीरनगर के एक छोटे से कस्बे से आई है वहां की रहने वाले दुर्गा ने नफरतों की दीवार को लांघते हुए वो कर दिखाया जिसकी न तो किसी को उम्मीद थी और न ही कोई कर सकता है क्यूंकि बातों के बीज तो हर कोई बोता है लेकिन उसे अपने खून से सींच कर अपनी ज़िंदगी में उतारना बहुत मुश्किल होता है लेकिन दुर्गा ने बोला नहीं बल्कि कर दिखाया।
दुर्गा ने मस्जिद बनने में बाधा बन रही अपने घर की दीवार को तोड़ दिया दुर्गा के इस काम ने न सिर्फ लोगों का दिल जीत लिया बल्कि सबको जीता जागता संदेश भी दिया कि धर्म की आंधी में उड़ने से बेहतर है अच्छे इंसान बनकर जियो।
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूं तू पढ़ ले मेरी क़ुरआन
जहाँ मस्जिदों में दीवारें खड़ी की जा रही हों वहां दुर्गा ने मस्जिद के लिये अपने घर की दीवार तोड़ दी