यूपी चुनाव : महिलाओं और मुसलमानों की मोह क्या वाकई माया?

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अब्राहम मिएराज

अगर जोश और भीड़ चुनावी नतीजे अपने पक्ष में करने का एक मापदंड है तो बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीत रही है।
सोमवार को इटावा के निकट मायावती की एक रैली में हज़ारों की संख्या में लोग उमड़े आगरा-कानपुर हाइवे पर वाहनों से कहीं अधिक पब्लिक नज़र आ रही थी।हाइवे पर ट्रैफ़िक जाम हो गया और ये उस समय की बात है जब मायावती वहाँ पहुँची भी नहीं थीं।
उनके स्टेज पर आने के बाद पुलिस के लिए भीड़ को क़ाबू करना मुश्किल हो रहा था

मुझे ये चुनावी रैली कम और त्योहार का माहौल ज़्यादा लग रहा था महिलाएँ बूढ़े बच्चे और जवान अपने परिवार के साथ स्टेज के सामने इकट्ठा हो रहे थे उनमें से कुछ मायावती के नाम पर नारे लगा रहे थे।
बीते दस दिनों में मैंने समाजवादी पार्टी कॉग्रेस गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी की रैलियाँ देखी हैं बसपा की रैली में ना केवल उनसे भीड़ कहीं अधिक थी बल्कि जोश भी ज़्यादा था और ये जोश बनावटी नहीं लगा।
अब तक की रैलियों में कुछ ही महिलायें नज़र आयी थीं लेकिन ये कहना सही होगा कि सोमवार की बसपा की रैली में महिलाएँ उतनी ही संख्या में आयी थीं जितने पुरुष।
हाइवे के किनारे एक खुले मैदान में रंग बिरंगी साड़ियाँ पहने महिलायें केवल मैदान को भरने नहीं आयी थीं बल्कि वो नारे भी लगा रही थीं और ‘बहन जी’ (मायावती) को चुनाव में अपना वोट देने की बात भी कह रही थीं।
एक झुंड में खड़ी महिलाओं से बात करने पर बताया कि मायावती उनके लिए मसीहा हैं मायावती को वहाँ मौजूद पुरुष भी उतना ही सम्मान दे रहे थे एक व्यक्ति ने कहा कि मायावती ने दलितों को ज़मीनें दी हैं और उससे भी बढ़कर उन्हें सम्मान दिया है। मज़े की बात ये थी कि
मायावती की प्रशंसा करने वाले ये व्यक्ति ब्राह्मण निकले भीड़ में ज्यादा दलित थे कुछ मुसलमान भी नज़र आये हर कोई दलित-मुस्लिम एकता की बात कर रहा था।
लेकिन इस रैली से ये बात अधिक साफ़ हुई कि दलित महिलाएँ चुनाव के दिनों में बड़ी संख्या में वोट देंगी

पिछले दस दिनों में अलग अलग शहरों में महिलाओं से बात करके लगा कि वो अपने पिता और पतियों के कहने पर वोट देंगी कुछ मुस्लिम इलाक़ों में तो उनके पुरुषों ने अपनी महिलाओं से हमारी बात भी नहीं करायी ऐसा लगा उनके घरों की औरतों की अपनी कोई निजी राय है ही नहीं।
लेकिन बसपा की रैली में आयी दलित महिलाएँ पूरी आज़ादी के साथ अपनी राय का इज़हार कर रही थीं बग़ल में खड़े पुरुष गर्व से उनकी बातें सुन रहे थे।
अपने भाषण में मायावती ने दलित महिला शक्ति की बात की मुस्लिम वर्ग के पिछड़ेपन की बात की नोटबंदी और बेरोज़गारी के खिलाफ़ भी आवाज़ उठायी।
बताते चलें कि राज्य में दलितों का वोट कुल मतों का 22 प्रतिशत है जबकि मुसलमानों का 20 प्रतिशत।
रैली में मौजूद लोगों का दावा था कि अधिकतर मुस्लिम वोट मायावती की पार्टी को जा रहा है बसपा ने 100 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं जो समाजवादी पार्टी से कहीं अधिक है जबकि भाजपा को कोई जीताऊ मुस्लिम उम्मीदवार ही नहीं मिला है।

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