CAA का विरोध है तो संवाद से परहेज क्यों है

प्रधानमंत्री ने CAA के हवाले से कहा है कि बार बार के स्पष्टीकरण के बाद भी ऐसी जिद क्यों? कहीं ये कोई प्रयोग तो नहीं? देश के गृह मंत्री ने सड़कों पर बैठी हुई जनता को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है फिर भी मुसलमान महिलाओं की मुख्तसर जमात, मुसलमान populated मुहल्लों में तथाकथित मुसलमान विरोधी कानून को वापस लेने के लिए सड़कों पर बैठी हुई है

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अभी कुछ ही वक्त तो गुजरा है जब देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी को 38% वोट शेयर के साथ 303 सीटें सौंपी जबकि NDA को 45% वोट शेयर के साथ 353 सीटों के भारी बहुमत से नरेन्द्र मोदी को लगातार दूसरी बार अगले पांच सालों के लिए भारत का भाग्यविधाता चुन लिया। हालांकि भारत का भाग्यविधाता कोई धर्म आधारित देश के तानाशाह जैसा नहीं होता बल्कि वो भारत की संसदीय प्रणाली के अंतर्गत जनता के प्रति जवाबदेह होता है इसीलिए कोई भी फैसला लेने के बाद उसके अनुमोदन के लिए वो जनता (संसद) के पास जाता है और जब देश की जनता उसके फैसले पर मुहर लगा देती है तो वो Bill कानून बन जाता है।

आप परेशान न होईये, हमें पता है कि आपको कानून बनने की प्रक्रिया पता है फिर भी अपनी बात कहने से पहले एक भूमिका लिखनी होती है ये वही भूमिका है। इस सरकार ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद अपने लिए कांटो भरा रास्ता चुना हालांकि वो चाहती तो फूलों भरी सेज भी चुन सकती थी

जिस तरह से इस्लाम अपने अनुयायियों को शारीरिक व मानसिक रूप से चुस्त एवं रुहानी व एखलाकी रुप से दुरुस्त करने के लिए रमज़ान के महीने में सख्त ट्रेनिंग को अनिवार्य करता है ताकि मुसलमान, समाज के लिए संवेदनशील,कर्तव्यों के लिए कर्तव्य शील और अधिकारों के लिए अनुशासित बन सकें, ठीक वैसे ही नरेन्द्र मोदी नीत भारत सरकार ने देश को संवेदनशील, कर्तव्य शील एवं अनुशासित बनाने के लिए समुद्र मंथन की तरह समाज मंथन का भगीरथ प्रयास शुरू किया जिसमें विष रुपी कुरीतियों कुप्रथाओं को सांविधिक प्रकिया के तहत समाप्त किया गया एवं अमृत रुपी प्रावधानों को लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत अंगीकार किया गया ।

जाहिर है ये मंथन का दौर है सख्त ट्रेनिंग का दौर है आत्म संयम का दौर है अपने अंदर के विष को उगलने का दौर है ऐसे में दिक्कतें तो होगी तकलीफ भी होगी लेकिन ये भी सच है कि ये तकलीफ उनकी है जिनकी राजनीति के मैदान में नरेन्द्र मोदी से बार बार हो रही हार है ये तकलीफ उनकी है जिनके बेटे बेटियाँ ही उनका राजनीतिक संसार हैं ये तकलीफ उनकी है जिनके चीन पाकिस्तान जैसे अलोकतांत्रिक सड़े गले विचार हैं। इसमें आम मुसलमानों का तो कुछ लेना देना नहीं फिर भी इन ठगों बहुरुपियों ने मुसलमानों को बेचैन व बेकरार कर रखा है ?

प्रधानमंत्री ने CAA के हवाले से कहा है कि बार बार के स्पष्टीकरण के बाद भी ऐसी जिद क्यों? कहीं ये कोई प्रयोग तो नहीं? देश के गृह मंत्री ने सड़कों पर बैठी हुई जनता को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है फिर भी मुसलमान महिलाओं की मुख्तसर जमात, मुसलमान populated मुहल्लों में तथाकथित मुसलमान विरोधी कानून को वापस लेने के लिए सड़कों पर बैठी हुई है। मैंने पहले भी कहा है कि CAA के विरोध में मुसलमान सड़कों पर नहीं आये हैं शरजील ने भी यही कहा है हालांकि हमारे और उसके भाव में अंतर है लेकिन शब्द एक ही हैं हम दोनों ने तो खुल कर कहा है जबकि मुसलमानों का एलीट क्लास यही बात चुपके चुपके कहता है।

अब आप समझ लीजिए, CAA तो बहाना है सच तो यह है कि मोदी सरकार और प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारों को अलोकतांत्रिक एवं अमानवीय तरीके से हटाना है और इसके लिए इन लोगों ने मुस्लिम महिलाओं को मोहरा बनाया है।

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