BJP : जब यूं ही हो रहा फ़ायदा, तो क्यों तोड़ें क़ायदा

पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं सभी पार्टियां अपने पूरे दमखम के साथ सत्ता प्राप्ति की कोशिश कर रही हैं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले 5 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है आखिर क्या वजह हैं कि 5 साल सरकार चलाने के बाद भी चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी को ध्रुवीकरण की राजनीतिक ट्रैक पर आना पड़ रहा है। बता रहे हैं मीडिया के छात्र प्रशांत तिवारी। ये लेखक के निजी विचार हैं।

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क्या  विरोधी दलों  द्वारा भारतीय जनता पार्टी की मुस्लिम विरोधी छवि गढ़ दी गई है! क्या भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की निष्क्रियता का परिणाम है! क्या भारतीय जनता पार्टी सरकार के मंत्रियों के अनाप-शनाप बयान से बैकफुट पर हैं! या भारतीय जनता पार्टी स्वयं अपनी छवि कभी मुस्लिम हितैषी के रूप में नहीं गढ़ना चाहती! क्या वाकई भारतीय जनता पार्टी देशी विदेशी आर्थिक सामाजिक उद्योग व्यापार सहित तमाम मोर्चों पर पूरी तरह फेल है इसीलिए उसे चुनाव जीतने के लिए ध्रुवीकरण के आसान रास्ते पर आना पड़ता है?

मई 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद ये देखा गया की मोदी सरकार ने अपने पूर्ववर्ती सरकारों की अपेक्षा मुस्लिम बहुल खाड़ी देशों से कहीं ज्यादा राजनीतिक एवं कूटनीतिक रिश्तों में सरगर्मी दिखाई। विदेशी मामलो के जानकर मानते हैं कि भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद  विदेश नीति में खाड़ी देशों का खासा ख्याल रखा,और खाड़ी देशों ने भी नरेन्द्र मोदी को हाथों हाथ लिया शायद उन्हें आभास था कि आने वाले समय में भारत की राजनीती 10 से 15 साल तक मोदी या बीजेपी के इर्द गिर्द घूमेगी।

इसलिए कई बार पाकिस्तान (Pakistan) सहित कई मुस्लिम देशों के विरोध के बावजूद सऊदी अरब (KSA), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) , ओमान (Oman), फिलीपींस (Philipince) , बांग्लादेश (Bangladesh) सरीखे कई देशों ने अपने देश का सर्वोच्च सम्मान भारत के प्नधानमंत्री को दिया। आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत एक बड़े बाजार के रूप में उभर कर दुनिया के सामने आया है सब को ये पता है कि अपना माल बेचने के लिए भारत जैसे बड़े बाजार की आवश्यकता है इसलिए भारत से रिश्ते मधुर होने चाहिए।

विदेशी मोर्चे के साथ साथ देशी मोर्चे पर भी भारतीय जनता पार्टी शासित सरकारों का ऐसा कोई विशेष कार्यक्रम या प्रयोजन नहीं दिखता सिवा कुछ सिरफिरे समर्थकों के, जिस की वजह से भारतीय जनता पार्टी को मुस्लिम विरोधी घोषित कर दिया जाये!

कोरोना की दूसरी लहर में देश के साथ साथ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी बुरी तरह प्रभावित थी वहां के कई प्रोफेसर्स कोरोना की चपेट में आये कुछ का निधन हो गया ऐसी परिस्थिति में सीएम योगी आदित्यनाथ ने विश्वविद्यालय का दौरा किया एवं यथासंभव मदद की  ये दौरा और भी महत्वपूर्ण उस वक़्त हो जाता है जब आखिरी बार 32 साल पहले किसी कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने मुस्लिम विश्वविद्यालय का दौरा किया था।

ऐसे में तमाम सृजनात्मक कार्यों के बाद भी  जब मुख्यमंत्री योगी 80:20 की बात करते है तो मुसलमानों का भयभीत होना और खुद को  असुरक्षित महसूस करना तार्किक एवं स्वाभाविक लगने लगता है। और वो खुद को दोयम दर्जे का नागरिक समझने लगते हैं यही कारण है कि विरोधी दल बहुत आसानी से बीजेपी की छवि मुस्लिम विरोधी बना देते हैं हालांकि पिछले कुछ समय से बीजेपी को इस छवि का  चुनावों में फायदा मिलता रहा है शायद इसीलिए वो भी अपनी छवि तोड़ना नहीं चाहती लेकिन अगर बीजेपी को  उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में लम्बे समय तक सत्ता में बने रहना है तो उसे अपनी इस छवि को तोड़ना ही पड़ेगा।

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