पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र नहीं रहे

राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह का निधन हो गया है यह जानकारी उनके पुत्र जयंत चौधरी ने दी आपको बताते चलें कि अजीत सिंह कोविड-19 वायरस से संक्रमित थे।

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  • लखनऊ । केन्द्र सरकार में कई बार मंत्री रह चुके और राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया चौधरी अजित सिंह का 82 साल की उम्र में गुरूग्राम के अस्पताल में कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने के कारण निधन हो गया। चौधरी अजीत सिंह की मृत्यु 6 मई की सुबह अस्पताल में फेंफड़े में इंफेक्शन की वजह से हुआ। उनके निधन की जानकारी चौधरी साहब के बेटे जयन्त चौधरी ने अपने ट्विटर अकाउंट से दी। अजित सिंह 20 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव पाए गए थे।

बेटे जयन्त चौधरी ने दी अजीत सिंह के मृत्यु की जानकारी

जयन्त चौधरी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, चौधरी साहब ने इतने सालों में लोगों से बहुत प्यार और इज्जत कमाया है। उन्होनें हर किसी को हमेशा अपना परिवार माना है और सबकी चिन्ता की है। इस महामारी के समय में मेरा आप सबसे निवेदन है कि अपना ध्यान दें और सुरक्षित रहें। खुद को अपने घरों में सुरक्षित रखें इससे डॉक्टर्स को भी काफी मदद मिलेगी और यही चौधरी साहब को असली श्रद्धांजलि होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कॉग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके निधन पर दुख जताया 

अजीत चौधरी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे हमेशा किसानों की मदद के लिए तत्पर रहे और केन्द्र द्वारा मिली जिम्मेदारियों का उन्होनें कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख अजित सिंह के असमय निधन से मुझे बहुत दुख पहुंचा है।

चौधरी अजीत सिंह राजनीति की दुनिया के बड़े चेहरों में शामिल थे। अजित सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। अजित सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे हैं। इन्होनें कम्प्यूटर इंजीनियरिंग करने के बाद 15 साल के लिए विदेश में नौकरी की परन्तु पिता की मृत्यु के बाद इन्होनें पार्टी की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए पार्टी का नेतृत्व करना शुरू किया।

अजित सिंह में राजनैतिक अवसर पहचानने का था हुनर

यह भी कहा जाता है कि अजित सिंह को राजनैतिक अवसर की खुब पहंचान थी और परिस्थिती के हिसाब से पार्टी बदलने का हुनर उन्हें विरासत में हांसिल था। चौधरी साहब लम्बे समय तक केन्द्र में मंत्री पद पर भी कार्यरत रहे। चाहे वो 1989 की वीपी सिंह की सरकार रही हो या 1991 की नरसिंह राव की सरकार। अजित सिंह अटल वाजपेयी और मनमोहन सिंह के सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।

राष्ट्रीय लोक दल पार्टी का प्रभाव जाटों पर अधिक था परन्तु चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद वह प्रभाव कम होता दिखाई दिया। पार्टी की कमान अजित सिंह के हाथों में आने के बाद पार्टी लगातार कमजोर होती गई। अजित सिंह ने ही अपनी पार्टी का नाम जनता दल से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी रखा था।

2014 में बीजेपी के केन्द्र में आने के बाद खराब होता गया अजीत सिंह का राजनैतिक करियर

अजित सिंह के राजनैतिक दुनिया का बुरा दिन तब शुरू हुआ जब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार आई। बीजेपी के उत्थान के बाद उनकी पार्टी का प्रभाव और कम होता गया, यहां तक कि अजित सिंह लोकसभा चुनाव तक नहीं जीत पाए। बताया यह भी जाता है कि उनकी पार्टी पर कई बार यह भी दबाव बनाया गया कि वो किसी और बड़े पार्टी में अपनी पार्टी का विलय कर लें।

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