तीन किसान कानूनों पर तीन क़दम पीछे खींचे क्यों

जो भी हो 2022 का साल बडा उथल-पुथल वाला होने जा रहा है । न्यूज डॉन ने कृषि कानूनों को वापस लेने संबंधी निर्णय के बारे में जब लोगों से सवाल किया तो किसी ने कहा कि मोदी हार गये वहीं कुछ औ लोगों का कहना था कि मोदी जी ने अपने स्वभाव के विरुद्ध काम किया है तो अवश्य कोई बडी बात होगी ।

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पीएम नरेंद्र मोदी

लखनऊ /दिल्ली ।     अखबारों, टीवी चैनलों, न्यूज पोर्टलों सब जगह मीडिया की हेडलाइन कुछ ऐसी ही है।  आखिरकार झुक गयी सरकार! वापस लिए गए तीनों कृषि कानून! जीत गये किसान! आपकी बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल तीन कानून लाई थी । लेकिन कई किसान संगठन इन कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे। लेकिन ये फैसला ऐसे समय में लिया गया जब किसान आंदोलन लगभग दम तोड़ चुका था पीएम मोदी का यह कदम क्या सामान्य है या इस कदम के पीछे कोई असामान्य रणनीति छुपी हुई है!

देश ने नोटबंदी देखा, देश ने घुसपैठ बंदी देखा, देश ने टैक्स चोरीबंदी देखा, देश ने देशबंदी देखा और देश ने देशवासियों के लिए कश्मीर का द्वार खुलते देखा, देश ने विदेशी भारतीयों के लिए देश का द्वार खुलते देखा लेकिन 7 वर्षों में पहली बार मोदी सरकार को 3 कदम पीछे हटते देखा है और वह भी तब जब किसान आंदोलन लगभग दम तोड़ चुका है।

आने वाले कुछ महीनों में पंजाब का इलेक्शन  है वहां के किसानों ने ही कृषि कानूनों का सबसे मुखर विरोध किया है और आन्दोलन में ज्यादा प्रतिभाग किया है , अब उन्ही से वोट पाना है । पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह निर्णयात्मक सरकार  नहीं है । पंजाब कांग्रेस को संचालित करने वाले समूह में एक से बढकर एक महानुभाव हैं जो आतंकवादियों पर , पाकिस्तान पर और चीन पर मेहरबान हैं ऐसे नेताओं के हाथ की कठपुतली सरकार विषम परिस्थितियों में देश के प्रति कैसा रवैया अपनाएगी यह संदेह से परे नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को करीब से देखने वाले जानकार बताते हैं कि मोदी को Predict कर पाना बहुत मुश्किल है। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई  बड़ा काम पाइप लाइन में हो और उसके विरुद्ध किसान आन्दोलन जैसा प्रतिरोध हो सकने का अनुमान लगाकर मोदी जी ने एक मोर्चे को ठंडा कर दिया है।

अंतरराष्ट्रीय मोर्च पर भारत के उत्तर और उत्तर और उत्तर पश्चिम में चीन-पाकिस्तान की संयुक्त शक्ति के किसी संभावित प्रहार के पहले आन्तरिक असन्तोष के बिन्दुओं को हाशिये पर डालना और आन्तरिक व्यवस्था बनाये रखना जरूरी है । पिछले सात वर्षों मे पीएम ने विपक्ष के काम करने के तौर तरीकों मोदी को समझ में आ गया है कि भारत के अधिकांश राजनीतिक दल  संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध रहने लगे हैं , उनमें भारत के दूरगामी हितों की राजनीतिक दृष्टि नहीं है । ऐसे हालात में नेतृत्व निर्वाह में कदम पीछे हटाना ही जरूरी हो जाता है ।

जो भी हो 2022 का साल बडा उथल-पुथल वाला होने जा रहा है । न्यूज डॉन ने कृषि कानूनों को वापस लेने संबंधी निर्णय के बारे में जब लोगों से सवाल किया तो किसी ने कहा कि मोदी हार गये वहीं कुछ औ लोगों का कहना था कि मोदी जी ने अपने स्वभाव के विरुद्ध काम किया है तो अवश्य कोई बडी बात होगी ।

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