जब कल्याण सिंह ने मुलायम सिंह के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था!

कल्याण सिंह ने भले ही भाजपा छोड़ दी थी, लेकिन इस लोधी बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र में उनका जादू सर चढ़कर बोल रहा था। मतदाताओं ने उन्हें जबरदस्त वोट देकर संसद में भेजा

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लखनऊ / एटा  / अलीगढ़। एटा लोकसभा सीट से सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का शनिवार रात को निधन !हो गया। इसकी खबर मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई। कल्याण सिंह का एटा से गहरा नाता रहा है। प्रखर हिंदूवादी नेता के रूप में उनकी छवि से एटा के लोग पहले से ही प्रभावित थे। लेकिन एटा का नाता उनसे उस समय गहरा हो गया, जब उन्होंने 2009 में एटा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को करारी शिकस्त मिली थी।

भाजपा से अनबन के चलते उन्होंने 2009 में पार्टी छोड़ दी थी। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एटा से चुनाव लड़ने आए। सपा ने उन्हें समर्थन दिया। मुलायम सिंह यादव ने उनके समर्थन में जनसभा को संबोधित किया था। सपा के इस कदम से आहत होकर पूर्व सांसद कुंवर देवेंद्र सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। जो कल्याण सिंह के मुख्य प्रतिद्विंदी रहे। वहीं भाजपा से डॉ. श्याम सिंह शाक्य प्रत्याशी रहे थे। भाजपा के ही सच्चे सिपाही माने जाने वाले डॉ. महादीपक सिंह शाक्य कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे।

कल्याण सिंह ने भले ही भाजपा छोड़ दी थी, लेकिन इस लोधी बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र में उनका जादू सर चढ़कर बोल रहा था। मतदाताओं ने उन्हें जबरदस्त वोट देकर संसद में भेजा। इसके बाद उनका यहां आना जाना लगा रहा। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने एटा के शांति नगर में अपना आवास भी बनवाया। जिसमें उनके आगमन पर बैठकें हुआ करती थीं। बाद में परिस्थितियां बदलीं और कल्याण फिर भाजपा में पहुंच गए।

2014 में कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बना दिया गया। जबकि उनके पुत्र राजवीर सिंह को इस लोकसभा सीट के वारिस के रूप में चुनाव लड़ाया गया। मतदाताओं ने उन्हें भी पूरा सम्मान देकर 2014 के बाद 2019 में भी चुनाव जिताया। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का एटा के पड़ोसी जनपद कासगंज से भी बेहद करीबी रिश्ता था। वह हमेशा कार्यकर्ताओं के बीच कहते थे कि कासगंज उनका अपना घर है। जिले के लोगों का उनसे काफी लगाव था। यहां उन्होंने 1993 में विधानसभा चुनाव भी जीता था।

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