बनेगा दुनिया का दादा या सोवियत संघ की तरह समाप्त हो जायेगा China

चीन कभी भारत को धमकी दे रहा है तो कभी ताइवान, कभी ऑस्ट्रेलिया को तो कभी वियतनाम को, वो हर किसी को अपनी गिरफ्त में लेने के फिराक में है। लेकिन ये भी सही है कि चीन के मंसूबे को परवान चढाना इतना आसान नहीं है

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मन में सवाल बहुतेरे हैं क्या कोलैप्स हो रहा है अमेरिकन अंपायर? क्या खत्म हो रही है अमेरिका की हैसियत? क्या खुद में ही घिर गया है दुनिया का दारोगा? क्या चीन अमेरिका पर बना रहा है बढ़त? क्या चीन बन जाएगा दुनिया का दादा? क्या चीन के चक्रव्यूह में फंस चुका है अमेरिकाा?

पिछले 2 महीने से अमेरिका कोरोना के सामने नतमस्तक दिखाई दे रहा था और अब पिछले 7 दिनों से जारी दंगों ने घुटना टेकने पर मजबूर कर दिया है एक तरफ कोरोना के कारण एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो दूसरी तरफ वामपंथी दंगाइयों ने पूरे अमेरिका को घुटने पर ला दिया है। 

इसमें खास बात ये है कि ये दोनों परिस्थितियां वामपंथियों ने पैदा की है प्रेसीडेंट ट्रंप ने कहा है कि वामपंथियों ने अमेरिका में अराजकता फैलाई है वामपंथी मतलब चीन यानी अमेरिका में ANTIFA नामक संगठन,ये वामपंथी संगठन इस पूरे दंगे को लीड कर रहा है उसका चीन के साथ कोई संबंध सामने आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। बल्कि इस बात की पूरी संभावना है और ऐसा लग रहा है कि दूरगामी साजिश रचने और उसे एक्टिव करने में चीन शायद अमेरिका से आगे निकल चुका है। 

चीन ने दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए पूरी मानवता को ही खतरे में डाल दिया है और अब वो अमेरिका को उसके घर में ही उलझाकर अपने साम्राज्यवादी प्लान को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है।

चीन कभी भारत को धमकी दे रहा है तो कभी ताइवान, कभी ऑस्ट्रेलिया को तो कभी वियतनाम को, वो हर किसी को अपनी गिरफ्त में लेने के फिराक में है। लेकिन ये भी सही है कि चीन के मंसूबे को परवान चढाना इतना आसान नहीं है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आगे के दो साल दुनिया के लिए बहुत अहम नजर आ रहा है क्योंकि इन दो सालों में या तो चीन अमेरिका को कई मामलों में बीट कर देगा या फिर वो खुद सोवियत संघ की तरह धराशाई हो जायेगा क्योंकि अभी सारा खेल चीन खेल रहा है अभी तक उसके खिलाफ पलटवार नहीं हुआ है हर नजर उस पलटवार और उसके स्केल पर है इसपर नजर बनाए रखिए बहुत कुछ होनेवाला है लेकिन अगले दो सालों में। ध्यान देने की बात यह है कि इस खेल में भारत की भूमिका निर्णायक होगी। 

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