इंतजार कीजिये जब हेडलाइन होगी! पैग़म्बर मुहम्मद का फॉलोअर गांजा पीते हुए या गणेश जी का भक्त चोरी करते हुए पकड़ा गया!

क्या किसी बड़े नेता या, सेलेब्रिटी का इसमें कोई हस्क्षेप या योगदान हो सकता है कि उसका फालोवर क्या करता है? क्या ऐसी रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकार अपनी फेसबुक मित्र सूची या वास्तविक मित्र सूची की ही गारन्टी लेंगे? अगर नहीं, तो फिर इस तरह की हेडलाइन के क्या मायने हैं? 

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लखनऊ । भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को वेब पोर्टलस को पंजीयन के दायरे में लाने के लिए एक मसौदा जनता के समक्ष सुझावों के लिए जारी किया और आज ही मैंने एक वेब पोर्टल पर न्यूज पढ़ी, जिसकी हेडलाइन थी… pm के फालोवर ने अलका लांबा के साथ की ऐसी बदतमीजी 

सौ टके का सवाल 

कोई व्यक्ति निजी स्तर पर किसी प्रकार की नीचता या अपराध कर रहा है और संयोगवश वह twitter या फेसबुक आदि पर pm या सचिन तेंदुलकर या अमिताभ या ममता बनर्जी को फालो कर रहा है, तो इसमें उन नेताओं या सेलिब्रिटीज का नाम जोड़ने का क्या औचित्य है? सनसनी फैलाने वाली ऐसी रिपोर्टिंग की वजह से वेब पोर्टल्स की साख, विश्वसनीयता और लोकप्रियता को गहरा धक्का लगा है।

तो क्या मुहम्मद, मसीह, बुद्ध और राम भी होंगे जिम्मेदार 

सवाल ये उठता है कि अगर कोई पैग़म्बर मुहम्मद का, ईसा मसीह का, गौतम बुद्ध का या मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का फॉलोअर है और वो चोरी करते या नशा करते हुए या लड़की से छेड़खानी करते पकड़ा जाता है तो क्या उसके आदर्श या आराध्य भी उसके करतूतों के लिए जिम्मेदार होंगे? ठीक ऐसे ही यदि किसी के घर में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चन्द्र बोस, अबुल कलाम आजाद या गणेश लक्ष्मी की तस्वीर भी हो तो क्या रिपोर्ट में ये लिखा जाएगा कि पैग़म्बर मुहम्मद, महात्मा गांधी का फालोवर या गणेश भक्त चोरी करते पकड़ा गया?

क्या किसी बड़े नेता या, सेलेब्रिटी का इसमें कोई हस्क्षेप या योगदान हो सकता है कि उसका फालोवर क्या करता है? क्या ऐसी रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकार अपनी फेसबुक मित्र सूची या वास्तविक मित्र सूची की ही गारन्टी लेंगे? अगर नहीं, तो फिर इस तरह की हेडलाइन के क्या मायने हैं? 

याद रखिये अपराध किसी से भी हो सकता है लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि उसके आदर्श, उसके आराध्य भी अपराधी हो गये हैं। निस्संदेह ऐसी रिपोर्टिंग से पत्रकारिता की साख गिरती है

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