हिंदी हैं हम?

जी, निश्चित रूप से हमारे हस्ताक्षर से लौट सकता है हिंदी का गौरव

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14 सितंबर 2019 को हिन्दी दिवस मानते हुए हम सबको 70 वर्ष हो गये आज ही के दिन १४ सितम्बर १९४९ को पहली बार संविधान सभा ने हिंदी को राज भाषा का दर्जा देने पर सहमति जताई थी इसी कारण हर वर्ष १४ सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है लेकिन हिन्दी केवल एक दिन के लिये समारोह का विषय वस्तु या भाषा नहीं है। इसे वलेंटाइन दिवस की भांति हिन्दी प्रेम स्वांग दिवस ना मनाया जाये। हिन्दी दिवस मनाना तो उनके लिये है जो 364 दिन इस भाषा को तिरस्कार या उदासीनता की दृष्टि से देखते हैं और आश्विन के इस पितरपक्ष में एक दिन हिन्दी का श्राद्ध दिवस के रूप में मनाकर अपनी श्रद्धा का तर्पण करते हैं । विचलित करने वाली बात यह है कि अपने ही वतन में हिन्दी को अतिथि भाषा के रूप में हम केवल एक दिन के लिये सम्मान दिवस के रूप में मनाते हैं होना तो यह चाहिए था कि प्रत्येक दिन इस भाषा को अपनी संस्कृति का अभिन्न अंग के रूप में आत्मसात करते। 

हिन्दी संविधान में 

संविधान के अनुच्छेद ३४३ से ३५१ तक हिंदी भाषा को समर्पित है  इसी अनुच्छेद के ३४३ में ये उल्लिखित है कि हिंदी देश की राज भाषा होगी। अब राजभाषा से यहाँ तात्पर्य कार्यालय से सम्बंधित काम काज है यानि पूरा भारत कार्यकारी भाषा के रूप में मुख्यतः हिंदी से आबद्ध होगा क्योकि भारत में शायद ही कोई ऐसा कार्य हो जो सरकारी कार्यालय से होकर ना गुजरता हो  ऐसे में हिंदी प्रत्यक्ष रूप से राज भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है पर अप्रत्यक्ष रूप से वो राष्ट्र भाषा के रूप में ही है।

जी, निश्चित रूप से हमारे हस्ताक्षर से लौट सकता है हिंदी का गौरव

राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 की 19 की धारा 3 की उपधारा (4) के साथ पठित धारा 8 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केन्द्रीय सरकार ने ये नियम बना रखे हैं हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा नियम १९७६ की धारा ७ (२) इस बात का उल्लेख करती है कि अगर कोई भारतीय अपनी कोई बात किसी भाषा में लिखे और अपने हस्ताक्षर अगर वो हिंदी में करें तो जवाब देने वाले का ये दायित्व है कि जवाब को हिंदी में ही दे। अब आप को ये समझने की जरूरत है कि आप सिर्फ अपने हस्ताक्षर से ही हिंदी को बढ़ावा दे सकते है और चाहे मन से या बेमन से सामने वाले को आपके पत्र का उत्तर हिंदी में ही देना पड़ेगा  पर आप बात तो हिंदी की करते है लेकिन अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी में ही बना कर अपना गौरव बढ़ाते है ।

आइये आज हिंदी दिवस पर आप हम सब  भारतीय संकल्प लें कि  कम से कम अपने हस्ताक्षर हिंदी में करके हिंदी में पत्राचार को बढ़ावा देंगे, आइये हम सब हिंदी दिवस पर इन तथ्यों और तकनीकी बातों को समझे ताकि हिंदी दिवस सार्थक हो सके। जय हिंद। जय हिंदी।। 

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