अब्राहम मिएराज
लखनऊ। रविवार को जब सूबे में विधान सभा के तीसरे चरण के वोट डाले जा रहे थे उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ़तेहपुर में भाषण दे रहे थे अपनी रैली में उन्होंने ढके छिपे शब्दों में वही लाईन पकड़ी जो बीते दो चरणों में फायरब्रांड नेता चला रहे थे।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस भाषण के बाद आशा के अनुरूप विपक्षी नेताओं ने इसकी जम कर आलोचना कि और मोदी के बयांन को खुद ब खुद चर्चा में ला दिया।
फतेहपुर में बोलते हुए नरेन्द्र मोदी ने जब कहा कि गाँव में कब्रिस्तान बने तो श्मशान भी बनाना चाहिए और अगर रमजान में बिजली आती है तो दिवाली में भी बिजली आनी चाहिए इसके बाद उन्होंने ईद और होली को भी इसी उदाहरण से जोड़ दिया तब यह साफ़ होने लगा कि भाजपा हिन्दू ध्रुवीकरण की अपनी रणनीति पर बाकायदा आगे बढ़ रही है।
लोकसभा चुनावो में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जिस इलाके से शुरू हुआ था उसी इलाके में पहले चरण के मतदान भी हुए पहले दो चरणों में भाजपा की तरफ से बतौर स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ने कमान सम्हाली थी। योगी की हर सभा का मुद्दा वही होता था जो मनोवैज्ञानिक रूप से हिन्दू भावना को उभार सके जिस वक्त योगी पश्चिमी यूपी में अपनी उग्र हिंदुत्व की लाईन को बढ़ा रहे थे उस दौरान नरेन्द्र मोदी अपराध, भ्रष्टाचार और विकास की बातो तक खुद को सिमित रखे हुए थे मगर तीसरे चरण के बाद आने वाले इलाकों में अति पिछड़े मतदाताओं की ताकत के साथ सवर्ण वोटो को समेटने के लिए अब खुद प्रधानमंत्री ने कमान संभाली है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिमी यूपी में अति पिछड़ी जातियों ने भाजपा को समर्थन दिया है और कई जानकार यह भी कह रहे हैं कि शुरूआती दो चरणों में भाजपा को इस इलाके में भरपूर सफलता भी मिली है नरेन्द्र मोदी को यह फीड बैक मिल चुका है कि अति पिछडो को जोड़ने में भी हिंदुत्व की लाईन कामयाब रही है और इसके साथ ही उच्च जातियों के मतदाताओं का रुझान भी उसकी तरफ आया है
हालाकि पूरब के इस इलाके में टिकट बंटवारे के बाद भाजपा में बागियों की तादात भी बहुत बढ़ी हुयी है गोरखपुर मंडल में टिकट बंटवारे से होने वाले संभावित नुकसान को बचाने के लिए खुद अमित शाह को ओम माथुर के साथ लगभग डेढ़ दिन लगाना पड़ा, मगर बात पूरी तरह बन नहीं पायी अब पार्टी को बिखरे मतों और स्थानीय नेताओं के प्रभाव को कम करने के लिए भी हिंदुत्व का सहारा है।
अब जिन इलाकों में मतदान होना है वहां सपा और बसपा का मजबूत आधार रहा है हलाकि इस बार मायावती के सोशल इंजीनियरिंग का वह प्रभाव नहीं पड़ रहा है जिसकी उन्हें अपेक्षा थी लेकिन इतना जरूर हुआ है कि 99 मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर भाजपा को एक आधार तो दे ही दिया था भाजपा ने गैर यादव पिछड़ी जातियों पर लगातार बहुत मेहनत की चुनावों के आने तक भाजपा ने लगभग हर सीट पर पिछड़ा वर्ग सम्मलेन पूरे कर लिए थे और सरदार पटेल , राजा सुहैल देव जैसे प्रतीकों के साथ इस वर्ग से खुद को बखूबी जोड़ लिया. फतेहपुर में भी नरेन्द्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी और सरदार पटेल का जिक्र किया।
चुनाव अब गंगा पट्टी में आ चुका है और इस इलाके में लोध, कुर्मी,कुशवाहा,लोनिया, निषाद और राजभर जैसी पिछड़ी जातियां बड़ी संख्या में हैं और बीते चुनावो में इस इलाके में समाजवादी पार्टी को जम कर समर्थन दिया था लेकिन इस बार भाजपा ने 2014 के बाद से ही लोध और कुर्मी बिरादरी को अपने साथ जोडे रखा है , पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर केशव मौर्या जैसे अनजान चेहरे को लाया और बाद में बसपा से स्वामी प्रसाद मौर्या को ला कर मौर्या, शाक्य, कुशवाहा जैसे राजनितिक रूप से हाशिये पर पड़े इस समुदाय को जोड़ा बहराईच में राजा सुहैल देव की प्रतिमा का अनावरण कर और फिर इस समाज में प्रभाव रखने वाले भासपा जैसे दल के साथ गठबंधन कर खुद को और मजबूत किया है अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल का साथ भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
भाजपा नेतृत्व को इस बात का फीड बैक भी मिला है कि हिंदुत्व की लाईन ऊँची जातियों के वोटरों को लुभा रहा है और इसीलिए नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के तोप का मुंह पूरा खोल दिया और भाजपा का हिन्दू एजेंडा भी साफ़ कर दिया।
जैसी कि उम्मीद थी विपक्ष भी उतनी ही तेजी से हमलावर हुआ और समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने अमित शाह को राजनितिक आतंकवादी तक कह दिया. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी मोदी पर पद की गरिमा के लिए अनुकूल शब्दों का चयन न करने का आरोप लगाया विपक्ष के इस हमले ने मोदी को और सहूलियत दे दी और पीएम के बयान पर जितनी भी चर्चा हुयी वह मोदी के एजेंडे को पूरा ही करती दिखाई दे रही है।