लखनऊ / गोरखपुर। आध्यात्मिक श्री गोरक्षनाथ मंदिर को 30 मिनट में 303 छायाचित्र खींच कर धरोहर छायाकार संदीप कुमार श्रीवास्तव ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नया कीर्तिमान बनाया। गोरक्षनाथ मंदिर के विभिन्न एंगल और शेड्स को आधे घंटे में छायांकन कर डॉ संदीप ने रास्ट्रीय पहचान दिलाने में सराहनीय प्रयास किया है। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने रामनवमी के दिन शुभाशीष देते हुए कहा कि श्री गोरक्षनाथनाथ मंदिर हमारे आस्था और श्रद्धा का केंद्र है इसे नए सोच और सृजनात्मक दृष्टि से नए स्वरूप में प्रस्तुत करने का कीर्तिमान बना कर संदीप ने गौरव की अनुभूति कराया है।
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स के एडिटर वत्सला कौल बनर्जी और परियोजना अधिकारी शुभाली चोपड़ा ने बताया की गहन निरीक्षण के बाद इस उपलब्धि को अनुशंसित किया गया है। संदीप बताते है कि धरोहरों के प्रति संरक्षण के लिये वर्षो से संकल्पित है। अपने गोरखपुर के लिये कुछ नया करने की इच्छा रही। इसी संकल्पना से आध्यात्मिक आस्था श्रद्धा के पवित्र केंद्र आदि योगी गुरु गोरक्षनाथ के सिद्ध स्थली श्री गोरखनाथ मंदिर के लगभग 650 तस्वीरों को छायांकन किया जिसमें से 303 तस्वीरों को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स की टीम ने चयनित कर रिकार्ड्स की सूची में दर्ज किया।
ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन हेतु संकल्पित धरोहर छायाकार संदीप ने इससे पूर्व भी इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भारत की प्रथम हेरिटेज फोटोग्राफी प्रर्दशनी औऱ एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में लगातार 12 घंटे तक हेरिटेज फोटोग्राफी मैराथन में 2994 छायाचित्रों से अंतराष्ट्रीय रिकार्ड्स बना कर एशियाई देशों में पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व कर चुके है।
आपको बता दें कि ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन हेतु संकल्पित धरोहर छायाकार संदीप कुमार श्रीवास्तव ने 20 हजार से ज्यादा ऐतिहासिक विरासत स्थलों की वास्तु कला अलंकरण वैभव और सौंदर्य के तत्वों को धूप छाव के शेड्स और एंगल में खींचा है।
गोरखपुर शहर के छायाकार अपने देश के समृद्ध विरासत को अपने कैमरे में उतार कर प्रदर्शनी के माध्यम से जन जन को धरोहरों के संरक्षण के लिए संकल्पित करते हैं। 10 वर्षों से नियमित रूप से धरोहर प्रदर्शनियों की श्रंखला जारी है । वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन द्वारा अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड्स मेगा वर्ल्ड स्टेज पर विश्व के सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड्स धारकों की श्रेणी में सम्मानित किया गया। इससे पूर्व ग्वालियर किले के चौथे द्वार की खोज का दुरूह कार्य भी फोटोग्राफी के द्वारा कर चुके हैं। धरोहर यात्रा का सफर तय करते हुए लगातार प्रदर्शनी एवम् कार्यशाला के माध्यमों से जन जन को अपने धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।