विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 22 करोड़ बच्चे जूझ रहे आँतोें के संक्रमण से

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                                                    -शिव कृपाल मिश्र-
लखनऊ,  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में 1 से 14 वर्ष की आयु के 22 करोड़ बच्चे आँतोें के कृमियों के संक्रमण के जोखिम में हैं यह कृमि जो पोषक तत्व बच्चों के शरीर के लिए जरूरीर होते हैं उन्हें खा जाते हैं, जिससे बच्चों में रक्त की कमी, कुपोषण और शरीर का विकास रूक जाने जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। कृमियों के अत्यधिक संक्रमण के कारण बच्चे इतने बीमार या थके हुए रहने लगते हैं कि वे स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान देने या स्कूल जाने में असमर्थ हो जाते हैं, जिससे लंबे समय में उनकी कार्य क्षमता और औसत आयु में कमी आ सकती है।
बच्चों में पेट के कीड़े एक बहुत बड़ी जन स्वास्थ्य समस्या है, उत्तर प्रदेश में 1 से 19 वर्ष के बच्चों में पेट के कीड़ों की व्यापकता लगभग 76 प्रतिशत है। बच्चों में कृमि संक्रमण व्यक्तिगत अस्वच्छता तथा संक्रमित दूषित मिट्टी के सम्पर्क से संभावित होता है। कृमि संक्रमण से जहाँ बच्चों का एक ओर शारीरिक एवं बौद्धिक विकास बाधित होता है वहीं दूसरी ओर उनके पोषण एवं हीमोग्लोबिन स्तर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है तथा स्कूल उपस्थिति भी प्रभावित होती है। बच्चों के समग्र विकास हेतु स्वास्थ्य, शिक्षा एवं बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार सभी विभाग प्रयत्नशील हैं, परन्तु बच्चों में पेट के कीड़ो के कारण उनका समग्र विकास नहीं हो पाता है। अतः बच्चों को पेट के कीड़ों से मुक्त कराना सभी विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस प्रदेश में 01 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमि मुक्त करने का एक अच्छा अवसर पर मंच प्रदान कर रहा है। प्रदेश में प्रथम बार 10 फरवरी 2016 को 24 चिहिन्त जनपदों में 8240036 बच्चों को कृमि मुक्त किया गया था तथा सितम्बर, 2016 में प्रदेश के 49 जनपदों में 12824054 बच्चें को कृमि मुक्त किया गया। प्रदेश के अन्य शेष जनपदों में फाईलेरिया नियत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत फाईलेरिया नियन्त्रण की दवा के साथ टेबलेट एल्बैण्डाजाॅल खिलाई जाती है।
आगामी 28 फरवरी 2017 एवं 18 मार्च, 2017 का प्रदेश के चिन्हित 57 जनपदों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 02 चरणों में मनाया जा रहा है। कृमि मुक्ति दिवस के उपरान्त क्रमशः 04 मार्च 2017 एवं 22 मार्च, 2017 को माॅप-अप दिवस आयोजित किया जाना निर्धारित है, जिससे जो बच्चे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 28 फरवरी व 18 मार्च, 2017 को दवाई नहीं खा पाए हैं, उन्हें माॅप-अप दिवस (04 मार्च, 22 मार्च, 2017) के दिन या दवा खिलाई जा सके।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस एक राष्ट्रव्यापी आगंनबाड़ी तथा स्कूल आधारित कृमि मुक्ति कार्यक्रम है जिसका राज्य स्तरीय क्रियान्वयन चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा समन्वित रूप से किया जा रहा है।
यह कार्यक्रम स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से संचालित किया जायेगा। 28 फरवरी 2017 एवं 18 मार्च, 2017 राउण्ड में उत्तर प्रदेश में 57190022 बच्चों को कृमि मुक्त करने का लक्ष्य है।
एल्बेंडाजोल (400 मिग्रा) गोली खाकर कृमि मुक्त होना कृमि संक्रमण का सबसे सरल सुरक्षित व प्रभावी तरीका है। दुनिया भर में करोड़ो बच्चों में डिवर्मिग करने का व्यापक अनुभव पुष्टि करता है इस दवाई से बहुत मामूली, हल्के और थोड़े समय रहने वाले साईड इफैक्ट या कभी-कभी ड्रग रिएक्शन होता है और ये लक्षण आमतौर पर कृमि के मारे जाने से सम्बन्धित होते हैं। कृमि की अधिक संख्या होने के स्थिति में कुछ बच्चों में हल्का पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त और थकान जैसे आम लक्षण रिपोर्ट किए गए हैं। ये गंभीर लक्षण नहीं हैं तथा आमतौर पर इनके लिए किसी चिकित्सालय इलाज की जरूरत नहीं होती है।

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