भारत में नारी को सम्मान मिला और वह फर्श से अर्श तक पहॅुची है। देश में कुछ घटनाओं के कारण ऐसा महसूस होने लगा कि नारी का शोषण हो रहा है और इसे समय रहते न रोका गया तो आगे भी होता रहेगा। हमें कुछ ऐसा सोचना और करना चाहिए जिसमें नारी के सम्मान को ठोकर न लगे और न ही पुरुष वर्ग नारी का शोोषण करे । राजनीति करने वालो के मुॅह से नारी सशक्तिकरण की बात करने में बुराई नही है लेकिन जब राजनीति करने वाले ही नारी का शोषण करते मिलते है तो राजनीतिज्ञो के मुॅह से नारी सशक्तिकरण की बात हास्यापद हो जाती है। इसबार चुनावी महासंग्राम में राजनीतिक द्रोपदी का चीरहरण होता रहा, दुशासन अट्टहास लगाता रहा लेकिन आधुनिक समय के उस द्रोपदी के चीर हरण में महिला राजनीतिक नेत्रियों के कान में जूॅ तक नही रेगा। मै बात कर रहा हॅू इस चुनावी महासंग्राम में जिस प्रकार से महिला फिल्म कलाकारों को ‘नचनिहा’ कहकर तुच्छ साबित करने की बात की जाती है और उन पर अभद्र और निन्दनीय टिप्पणी होती है उससे साफ हो गया कि महिला को सम्मान देने की बात राजनीतिक रुप से दिखाई नही पड़ती है।

बात उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर की लोकसभा के सीट की भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा और सपा प्रत्याशी आजम खाॅं के बीच के नोक-झोक की बातें करना जरुरी हैं , आजम खाॅ ने भाजपा की सांसद प्रत्याशी जया प्रदा के लिए अशोभनीय टिप्पणी कई बार की। वैसे कहा यह भी जाता है आजम खाॅ खुद भी अपने आप को मीडिया की सुर्खियों में बनाये रखने के लिए, विवादित बयान देने मे माहिर है।
आजम खां इसबार ने लोकसभा-2019 के चुनावी महासंग्राम में जयाप्रदा के स्त्रीत्व पर ठेंस पहुॅचाने के लिए बेशर्मी भरी टिप्पणी कर दी, जिससे जयाप्रदा आहत हुई। इस राजनीतिक महासंग्राम में राजनीतिक द्रोपदी का चीर हरण होता रहा लेकिन ऐसे समय में सभी राजनीतिक नेत्रियों जैसे-सोनिया गाॅधी, प्रियंका गाॅधी, मायावती, ममता बनर्जी आदि से जयाप्रदा ने इस बात का समर्थन आजम खाॅ के विरोध में भी माॅगा कि यदि स्त्री सम्मान की चिंता है तो वह आजम के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें लेकिन किसी की तरफ से आजम खाॅ के लिए अपनी प्रतिक्रिया नही दी गयी है।बहरहाल अब रामपुर के आजम खाॅ और जयाप्रदा का राजनीतिक भाग्य का फैसला मतपेटियों में आज कैद हो जायेगा।

कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी के साथ कार्यकर्ताओं ने असम्मानित व्यवहार किया गया। जिसकी शिकायत हाई कमान से की गयी, लेकिन हाई कमान ने आरोपितों को अपनी पार्टी से निष्काशित नही किया और क्षुब्ध होकर प्रियंका चर्तुबेदी ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर शिवसेना में शामिल हो गयी। सपा बसपा गठबन्धन में कई वर्ष पूर्व का गेस्ट हाऊस काण्ड बहुचर्चित है जिसमें समाजवादियों ने मायावती के साथ अशोभनीय व्यवहार किया गया था और आज भी लोग उस काण्ड को जानते है कि राजनीति करने वाले लोग राजनीति करने वाली नारी को पीड़ि़त करने में कभी पीछे नही रहे है हालाकि इस गेस्ट हाऊस काण्ड में दलित बेटी कही जाने वाली मायावती को ब्रहम्भदत्त द्विवेदी द्वारा रक्षा करने की बात भी सामने आयी थी।
राजनीति में नारियों को अपमानित करने वालो को आम जनता द्वारा उनका मतदान के समय घोर विरोध करना चाहिए, जिससे राजनीति में महिलाओं का शोषण न हो। ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि सभी धार्मिक आधारों पर महिला को सम्मान देने की बात कही गयी। सनातन धर्म में महिला को पूजनीय माना जाता है। लेकिन बड़े ही हैरानी वाली बात है कि राजनीति में जब जयाप्रदा का आजम खाॅ द्वारा मुखवाणी के माध्यम से द्रोपदी जैसा चीर हरण हुआ और जया ने राजनीति में आयी सभी विपक्षी महिलाओं से अपील की, कि वह आजम खां को उनके समर्थन में नसीहत दे कि वह भविष्य में आजम ऐसी भाषााओं का प्रयोंग न करे, जबकि उन्हें कोई भाई कहकर सम्बोधित कर रहा हो। लेकिन अभी तक किसी महिला राजनेत्री ने जया प्रदा के समर्थन खुल कर सामने नही आया है। इससे साफ जाहिर है कि राजनीति में नारी सशक्तिकरण तो मात्र राजनीतिक फायदे के लिए प्रयोग किया जाता है न कि नारी को सम्मान देने के लिए। राजनीतिक फायदे के लिए ही नारी को शोषित करने वाले मुद्दे राजनेता/राजनेत्रिया उठाती रहती है। जया प्रदा के मामले में एक बात और खुलकर सामने आई कि आजम द्वारा अपमानित शब्दों के बोलने पर कोई भी सामाजिक संस्था सड़को पर आजम खां का विरोध करते हुए दिखाई भी नहीं पड रही है।