संसद ने मंगलवार को शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दी, जिसमें युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं विधेयक के मुताबिक, अब किसी भी शत्रु संपत्ति के मामले में केंद्र सरकार या कस्टोडियन द्वारा की गई किसी कार्रवाई के संबंध में किसी वाद या कार्यवाही पर विचार नहीं किया जाएगा| शत्रु संपत्ति के मालिक का कोई उत्तराधिकारी भी यदि भारत लौटता है तो उसका इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं होगा| एक बार कस्टोडियन के अधिकार में जाने के बाद शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होगा|
लखनऊ में शत्रु सम्पत्ति के लिए नया कानून आ जाने के बाद अब बटलर पैलेस, हजरतगंज की प्रमुख इमारतें महमूदाबाद मेंशन, कांकर वाली कोठी को कब्जे में लेने की तैयारी है। इन इमारतों में बड़े ब्रॉन्ड के शोरूम हैं। जिले में कुल 167 शत्रु सम्पत्तियां हैं। इनमें से सिर्फ 47 ही किराया दे रहे हैं। नए कानून के मुताबिक अब इन शत्रु सम्पत्तियों पर उनके वारिस हक का दावा नहीं कर सकेंगे। ये सम्पत्तियां सीधे गृह मंत्रालय के अधीन शत्रु सम्पत्ति सरंक्षक के पास आ चुकी हैं। जिला प्रशासन इन सम्पत्तियों का प्रबंधन करेगा।
साथ ही 120 किराएदारों पर शिकंजा कस गया है जो किराया नहीं दे रहे हैं। मौजूदा समय 167 शत्रु सम्पत्तियों में से सिर्फ 47 ही किराया दे रहे हैं। इसके अलावा 60 सम्पत्तियां ऐसी हैं जिन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद के कारण किराया नहीं वसूला जा रहा। कुछ पर किराएदारी का विवाद चल रहा है। वहीं कुछ जमीनों की पैमाइश को लेकर विवाद है। राजधानी में सबसे अधिक 112 शत्रु सम्पत्तियां सदर तहसील में हैं। इसके अलावा माल में 29, मोहनलालगंज में राजा सलेमपुर की नौ सम्पत्तियां हैं। जिला प्रशासन अब तक वर्ष में दो बार इन सम्पत्तियों का सत्यापन कराता रहा है।
कई किराएदारों ने जल्दबाजी में जमा किया किराया:करोड़ों रुपए की मिल्कियत वाली बेशकीमती सम्पत्तियों का दो सौ रुपए से डेढ़ हजार रुपए तक का मामूली किराया भी कई किराएदार जमा नहीं कर रहे थे। एसडीएम सदर ने दिसम्बर माह में नए सिरे से किराया वसूलने के लिए नोटिस भेज दिया था। वहीं, नए कानून के पास होने की भनक लगते ही दर्जनों किराएदारों ने अपना-अपना किराया जमा कर दिया है।
सबसे अधिक शत्रु सम्पत्तियां राजा महमूदाबाद के पास: शत्रु सम्पत्तियों में सबसे चर्चित मामला राजा महमूदाबाद से जुड़ी सम्पत्तियों का रहा। यह मामला लम्बी कानूनी दांव-पेंच में उलझता-सुलझता रहा। शहर के बीचोंबीच डालीबाग के पास बटलर पैलेस स्थित तालाब और लाइब्रेरी का मौजूदा बाजार भाव करोड़ों रुपए है। बटलर पैलेस तालाब और लाइब्रेरी पर दावे के बाद देश की शीर्ष अदालत के निर्देश पर राजा महमूदाबाद को इन सम्पत्तियों का कब्जा वर्ष 2005 में दिया गया था। इस दौरान शत्रु सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त भी हुई। इसके बाद लम्बी चली कानूनी प्रक्रिया के पास मालिकाना हक एक बार फिर प्रशासन यानी सीधे तौर पर देश के शत्रु सम्पत्ति अभिरक्षक के हाथों वापस आ गया। तब से इस सम्पत्ति की देखभाल अभिरक्षक की ओर से जिला प्रशासन कर रहा है।
राजा महमूदाबाद के वारिस राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान का कहना है कि नए कानून से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। सबसे ज्यादा गरीब वर्ग के लोग प्रभावित होंगे जो एक या दो कमरे में गुजर-बसर कर रहे हैं। साथ ही कई कानूनी अड़चन भी सामने आएंगी।
1947 में देश के बंटवारे, 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंगों के दौरान या उसके बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है और उनकी संपत्तियों का शत्रु संपत्ति. पाकिस्तान, चीन के अलावा दूसरे देशों की नागरिकता ले चुके लोगों और कंपनियों की संपत्ति भी शत्रु संपत्ति में शामिल है. ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है. भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है.