1735 करोड़ का घोटाला: अखिलेश यादव-नवनीत सहगल सिंडिकेट का एक और बड़ा खेल !

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पवन सिंह

लखनऊ-आगरा इक्स्प्रेस्वे बड़ा घोटाला है उसी तरह ‘दिल्ली-यमनोत्री’ स्टेट हाइवे ( SH-57:206 km) लागत रु. 1735 करोड़ में SEW नामक हैदराबाद की निर्माण कम्पनी पैसा लेकर भागी। उत्तर प्रदेश में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग की दूरी 170.3 कि. मी. है…. अखिलेश सरकार का बड़ा घोटाला सामने आया है।
इस हाइवे का काम ‘उपशा (UPSHA- Uttar Pradesh State Highways Authority)’ द्वारा PPP(Private-Public Partnership) के आधार पर बनाने के किए ठेके के रूप में April, 2012 को दिया गया था, अखिलेश यादव ने मार्च 2012 की शपथ ली थी। कम्पनी द्वारा बैंक से ऋण लिया गया तथा धीमी गति से काम शुरू किया क्योंकि कम्पनी की काम पूरा करने की न नियत थी और न ही छमता।
उपशा का अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व CEO अखिलेश (व मायावती का भी) प्रिय IAS अधिकारी नवनीत सहगल है। ठेकेदार कम्पनी SEW ने सितम्बर 2014 तक कोई ख़ास काम नहीं किया अपितु बैंक से पैसा निकाल कर केवल नेता/अधिकारियों का commission के रूप में लगभग रु. 455 करोड़ भर दिया। उपशा द्वारा 11 जून 2014 तक कम्पनी द्वारा कोई काम न किए जाने पर भी इस कम्पनी का contract कैन्सल न करके लोभवश इस कार्य की अवधि 371 दिन और बढ़ा दी अर्थात 2017 के अंत तक काम करने की अनुमति प्रदान कर दी।
नवम्बर 2013 से मौक़े पर काम बंद है। कल दिनांक 24 फ़रबरी 2017 को अचानक उपशा के महाप्रबंधक से अपनी चमड़ी बचाने के लिए FIR दर्ज कराई गयी गई है क्योंकि नवनीत सहगल जी को आभास हो गया है कि अब सपा सरकार जा रही है और भाजपा के आने के बाद। लखनऊ-आगरा इक्स्प्रेस्वे के साथ-साथ जाँच अवश्य होगी। FIR दर्ज न करने की क्या बाध्यता थी?
निम्न प्रश्न अनुत्तरित हैं:
1. ठेकेदार कम्पनी की आर्थिक छमता का बिना सही आंकलन किए ठेका क्यों दिया गया?
2. समय-2 रिव्यू कर कार्य प्रगति की समीक्षा क्यों नहीं की गयी?
3. जब नवम्बर 2013 से काम नहीं हो रहा था तो ठेका तभी क्यों नहीं कैन्सल किया गया? इतना विलम्ब FIR दर्ज करने व ठेका कैन्सल करने में क्यों लगाया गया?
4. 11 जून 2014 को निर्माण कम्पनी को 721 दिन का टाइम इक्स्टेन्शन क्यों व किन परिस्थितियों में दिया गया ?
5. परियोजना की लागत क्यों पुनरक्षित की गयी? अब आगे लागत डबल हो जाएगी? दोषी कौन होगा?
6. जब केंद्र सरकार इस महत्वपूर्ण मार्ग को NHAI को ट्रान्स्फ़र करने जे लिए कह रही थी तो क्यों ऐसा नहीं किया गया?
7. कम्पनी द्वारा मौक़े पर रू. 455 करोड़ ख़र्च न कर कितना कमिशन/ रिश्वत के रूप में दिया गया?
8. PWD का कितना बजट ख़र्च किया गया जब यह PPP mode पर स्वीकृत परियोजना थी।
मज़े कि बात है कि भ्रष्ट पत्रकारों से मिलकर अख़बारों में प्रायोजित ख़बर ऐसे छपवाई गयी है जैसे यह केवल बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार किया गया है जबकि यह अखिलेश यादव व उनके सिंडिकेट अफ़सर नवनीत सहगल के भ्रष्टाचार की पटकथा है? यदि मेरी बात में झूँट है तो अखिलेश यादव व नवनीत सहगल का सिंडिकेट मेरे विरुद्ध मानहानि का मुक़दमा कर दे, मैं तैयार हूँ।
यदि आप सहारनपुर से गौरीपुर (SH-11 व NH-1 के जंक्शन तक) की इस हाइवे की हालत देख लेंगे तो पता चल जाएगा कि सड़क में गढ्ढा है या गढ्ढा में सड़क…. 4-4गहरे गड्ढे हैं इस सड़क पर …. ये है अखिलेश कि विकास की कहानी… भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश को कई बार इस सड़क को NHAI को ट्रान्स्फ़र करने को लिखा परंतु अखिलेश यादव- नवनीत सहगल सिंडिकेट ने ऐसा न करने के लिए ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया था।
सन्नाटा छाया है, मेरे भाई ! बड़ा घोटाला है …. विपक्ष क्यों नहीं चुनाव में उठा रहा, राम जाने !!!
मैं यह परियोजना की CBI जाँच की माँग करता हूँ ? यदि ‘अखिलेश यादव-नवनीत सहगल’ सिंडिकेट ने इसमें भ्रष्टाचार नहीं किया है तो CBI जाँच की संस्तुति भारत सरकार को कर दे…. देखते हैं कितना दम है ???
उत्तर प्रदेश में आज भ्रष्टतंत्र का बोलबाला है…

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